अयोध्या. पिछले कुछ दिनों से अयोध्या की जो तस्वीर सोशल मीडिया व टीवी चैनलों पर दिखाई दे रही है। अयोध्या उससे थोड़ा अलग है। मंदिर मुद्दा हर गली में चर्चा का विषय जरूर है, लेकिन हर गली के मुद्दे दबे जा रहे हैं।अयोध्यावासियों के मन में भगवान के प्रति श्रद्धा पूरी है, लेकिन सियासतदारों के प्रति गुस्सा भी है। जिस तरह से चुनाव से कुछ महीने पहले मंदिर को लेकर ‘माहौल’ तैयार किया जा रहा है उसके सियासी मायने अयोध्यावासी अब बखूबी समझ गए हैं। लोगों से बातचीत में निकलकर आया कि उनके सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा जैसे तमाम मुद्दे हैं, जो चर्चा से गायब हैं। जनता अब माहौल से ज्यादा अपने मुद्दों पर बात करना चाह रही है।
ये भी पढ़ें- धर्मसभा में राम मंदिर निर्माण की तारीख को लेकर हुई बहुत बड़ी घोषणा, जगद्गुरु राम भद्राचार्य ने किया धमाकेदार ऐलान आम पब्लिक की नजर में ये हैं मुद्दे- तुलसी चौरा के रहने वाले 55 वर्षीय राम कुमार ने बताया कि मंदिर के नाम पर माहौल पिछले कई साल से बनाया जा रहा है, लेकिन असली मुद्दों पर ध्यान किसी का नहीं है। वह पेशे से मजदूर हैं। नोटबंदी के बाद से काम मिलना कम हो गया है। अयोध्या में पर्यटन के अलावा ज्यादा कुछ नहीं। एक निजी सेंटर पर बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाने वाले रमेश उपाध्याय ने बताया कि ज्यादातर छात्र अच्छी शिक्षा के लिए लखनऊ ही जाते हैं। खासतौर से टेक्निकल कोर्सेज के लिए ज्यादा संस्थान भी नहीं हैं। प्रसाद की दुकान लगाने वाले राम रूप ने कहा कि मंदिर मुद्दा जल्द ही निपट जाए तो ठीक, ताकि दूसरे मुद्दों पर सरकारों का ध्यान जाए। शास्त्रीनगर की रहने विमला देवी ने बताया कि अच्छे काॅन्वेंट स्कूलों की काफी कमी है। इसी कारण बच्चे का एडमिशन लखनऊ के एक निजी स्कूल में करवाया है।
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श्रंगारहाट के रहने वाले समीर सिंह ने बताया विकास के पैमाने पर उस अयोध्या की तस्वीर कितनी बदरंग है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोज़गार के नाम पर अयोध्या में किसी भी बड़े उद्योग या कारखाने की शुरुआत नहीं हुई, जिससे इस शहर का युवा रोज़गार पा सके और अपना भविष्य सुधार सके। इसके चलते अयोध्या में पढने वाला युवा नौकरी और रोजगार के लिए अलग शहरों में जाने के लिए मजबूर हैं|
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धर्मसभा से कुछ मीटर दूर स्थित मोहम्मद शफीक का मकान बंद था। आसपास के लोगों ने बताया कि दो दिन से परिवार ताला लगाकर गायब हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि कई मुस्लिम परिवार दो दिन पहले ही घर बंद कर दूसरे शहर जा चुके हैं।