अयोध्या

अयोध्या में नया अध्याय : अयोध्या के विकास कांड की यात्रा, रामलला संग बदलेगी दूसरे मंदिरों की तकदीर

-कुछ संवरेंगी कुछ हो जाएंगी इतिहास-500 साल पुरानी चतुर्भुजी मंदिर भी ढहेगी

अयोध्याAug 01, 2020 / 09:48 pm

Mahendra Pratap

अयोध्या में नया अध्याय : अयोध्या के विकास कांड की यात्रा, रामलला संग बदलेगी दूसरे मंदिरों की तकदीर

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
अयोध्या. रामनगरी अयोध्या में छोटे-बड़े एक हजार से अधिक मंदिर हैं। राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के बाद इनमें से दर्जनों मंदिरों के दरवाजे नहीं खुले। सालों-साल बीत गए इन मंदिरों से घंटे-घडिय़ाल की आवाज नहीं गूंजी। पूजा-पाठ बंद होने से चढ़ावा आना बंद हो गया और मंदिर जर्जर हो गए। जब जबकि रामलला मंदिर का निर्माण शुरू होने हो है तब इन मंदिरों के भी दिन भी बहुरने की उम्मीद जगी है। वहीं रामलला मंदिर के रास्ते के चौड़ीकरण की जद में आने वाले कुछ जर्जर मंदिर ढहाए भी जाएंगे। नगर निगम ने ऐसे करीब 176 मंदिरों, धर्मशालाओं और भवनों की सूची तैयार की है जिन्हें जर्जर होने की वजह से ढहा दिया जाएगा। इनमें से कुछ मंदिरों के मंहतों ने फिर से नयी मंदिर के निर्माण की संकल्पना जतायी है। इस तरह अयोध्या में मंदिरों के फिर से गुलजार होने पर यहां के ‘विकास कांड’ की यात्रा में चार चांद लग जाएंगे।
परिसर के दर्जनभर मंदिरों का होगा कायाकल्प :- राम जन्मभूमि परिसर में आधा दर्जन जर्जर मंदिर हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने भी इन मंदिरों के कायाकल्प की योजना बनायी है। रामजन्मभूमि मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के साथ शेषावतार, साक्षी गोपाल, सीता रसोई, श्रीराम जन्मस्थान, आनंद भवन, राम खजाना, बहराइच मंदिर, सुमित्रा भवन, कैकई भवन, विश्वामित्र आश्रम, मानस भवन समेत तकरीबन एक दर्जन मंदिरों को साल 2000 के कोर्ट के एक आदेश के बाद चढ़ावा मिलना बंद हो गया। श्रीराम जन्मभूमि में भी सार्वजनिक पूजा अर्चना बंद थी। इसकी वजह से इन मंदिरों में भी दान दक्षिणा मिलना बंद हो गया। इसके बाद इन मंदिरों के पुजारी अपने-अपने मंदिरों के विग्रह के साथ अन्यत्र चले गए। लंबे समय से देखरेख न होने की वजह से कई मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए। अब राम मंदिर निर्माण शुरू होने से इन मंदिरों के भी जीर्णोद्धार की योजना बन रही है।
500 सौ साल पुराना है चतुर्भुजी मंदिर :- नगर निगम ने 176 भवनों और मंदिरों को ढहाने की नोटिस महंतों को दी है। इनमें 500 साल पुराना चतुभुर्जी मंदिर भी शामिल है। हालांकि, इनमें से कुछ साधु-संत निगम के फैसले के विरोध में कोर्ट चले गए हैं। उनका कहना है कि रामलला का मंदिर के साथ ऐतिहासिक मंदिरों कासंरक्षण जरूरी है। रामजन्मभ्ूामि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास भी जर्जर मंदिरों को ढहाने के निर्णय का समर्थन नहीं करते। वह कहते हैं अयोध्या के ये प्राचीन मंदिर ही रामनगरी की ऐतिहासिकता बयां करते हैं। सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिरों को ढहाने पर इनका इतिहास मिट जाएगा। बहरहाल, सुंदरीकरण और ऐतिहासिकता की इस लड़ाई में नगर निगम अभी असमंजस में है। जिन मंदिरों को गिराया जाना है उनमें श्रीराम निवास, छोटी कुटिया, रामायण भवन, शुक्ला मंदिर, बेतिया मंदिर, हनुमान कुटिया, भ्रूण मंदिर, शीशमहल मंदिर, चतुर्भुजी मंदिर आदि प्रमुख हैं।

Hindi News / Ayodhya / अयोध्या में नया अध्याय : अयोध्या के विकास कांड की यात्रा, रामलला संग बदलेगी दूसरे मंदिरों की तकदीर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.