सुबह-सुबह गोली मारकर की हत्या
20 अक्टूबर 2016 की सुबह अयोध्या के कोतवाली नगर क्षेत्र में स्थित शीतला माता मंदिर के पीछे एक मकान को लेकर विवाद हुआ। इस दौरान महंत जयप्रकाश दास ने द्रौपदी सिंह को गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी। यह भी पढ़ें
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क्या था विवाद
मंदिर के पीछे स्थित मकान को लेकर महंत और महिला के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। विवाद इतना बढ़ गया कि महंत ने अपनी प्रतिद्वंद्विता खत्म करने के लिए हिंसक कदम उठाया।न्यायालय का फैसला: दोषी पाए गए महंत
एडीजे थर्ड न्यायालय ने सबूतों और गवाहों के आधार पर महंत जयप्रकाश दास को हत्या का दोषी करार दिया। अदालत ने अपने फैसले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।न्याय प्रक्रिया में अहम बिंदु:
गवाहों के बयान: घटना स्थल के प्रत्यक्षदर्शियों ने महंत के खिलाफ बयान दिए। फॉरेंसिक सबूत: फॉरेंसिक रिपोर्ट और हत्या में इस्तेमाल हथियार के साक्ष्य ने महंत को दोषी साबित किया। लंबी कानूनी प्रक्रिया: घटना के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और केस की सुनवाई में लगभग सात साल का समय लगा।
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शीतला माता मंदिर और महंत की भूमिका
शीतला माता मंदिर, अयोध्या के मकबरा क्षेत्र में स्थित है और धार्मिक दृष्टि से यह मंदिर महत्वपूर्ण है। महंत जयप्रकाश दास मंदिर के प्रमुख थे और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा काफी प्रभावशाली थी। लेकिन इस घटना के बाद उनकी छवि धूमिल हो गई। समाज में असर: हत्या के बाद मंदिर के श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के बीच गहरी नाराजगी थी। इस घटना ने धार्मिक नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए।
महंत जय प्रकाश दास की सजा के मायने
महंत जयप्रकाश दास को दी गई सजा न केवल न्याय व्यवस्था की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि कानून के सामने हर व्यक्ति बराबर है। विशेषज्ञों की राय: कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से संदेश गया है कि धार्मिक पद पर आसीन व्यक्ति भी कानून से ऊपर नहीं है।
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