अयोध्या. Ayodhya jhulan utsav अयोध्या में सावन माह के शुरू होते ही झूलनोत्सव की छटा बिखरने लग गई है। वैसे तो मंदिरों में भगवान पंचमी के बाद झूले पर विराजमान होते हैं पर अयोध्या के कुछ मन्दिरों में यह परंपरा श्रावण मास प्रारम्भ होने से ही शुरू हो जाती है। कोरोना महामारी से इस बार मन्दिरों में यह उत्सव सादगी से मनाया जा रहा है।
सीएम योगी का रविवार को अयोध्या दौरा, रामलला जन्मस्थली पर सिर्फ तीन घंटे रहेंगे भव्य आरती, भोग, बधाई गायन हुआ :— अयोध्या में श्रावण मास प्रारम्भ होते ही श्रीराम जन्मभूमि परिसर से सटे रंगमहल व सद्गुरु सदन मंदिर में झूलनोत्सव की शुरुआत हो गई है। और आकर्षक झांकियों के बीच भगवान श्रीराम व माता सीता और तीनों भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भी गर्भगृह से निकलकर झूले पर विराजमान हुए हैं। उनकी भव्य आरती, भोग के बाद देर शाम बधाई गायन जैसे आयोजनों के बीच झूला झुलाया जाता है। इस दौरान परिसर में मौजूद कुछ भक्त व संतों ने इस पूरे कार्यक्रम का आनंद लिया।
अनंत काल से चल रही है परंपरा :— अयोध्या में शुरू हुए झूलनोत्सव के आयोजन को लेकर रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि, वैसे तो भगवान श्रीराम के झूलनोत्सव की परंपरा अनंत काल से चली आ रही है। मंदिर में भगवान श्रीराम सहित विराजमान भगवान को झूलों पर विराजमान कराने के साथ भव्य आयोजन किया जाता है लेकिन अभी कोरोना महामारी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए इस वर्ष भी बहुत ही सादगी से मनाया जा रहा है।