अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक आज से शुरू, नृपेंद्र मिश्र करेंगे अगुवाई अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) ‘समर्पण निधि अभियान’ चलाया। विदेशों में रह रहे भारतीयों और विदेशी रामभक्तों ने दिल खोलकर अपना योगदान दिया। पर एक कानूनी खामी की वजह से अब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, विदेशी रामभक्तों से प्राप्त चंदे को उन्हें वापस कर रहा है।
करीब एक माह में एफसीआरए लाइसेंस :- बताया जा रहा है कि ट्रस्ट के पास अभी एफसीआरए लाइसेंस नहीं है। ट्रस्ट ने एफसीआरए सर्टिफिकेट का आवेदन कर दिया था। अब बस गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है। सूत्रों के अनुसार करीब एक माह में सर्टिफिकेट मिलने की उम्मीद है। इस लाइसेंस के प्राप्त होने के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की दिल्ली शाखा में एक विशेष खाता खोला जाएगा। विदेशी नागरिक इस अकाउंट में सीधे पैसा दान कर सकेंगे। उसके बाद समय-समय पर यह पैसा ट्रस्ट के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
वापसी की प्रक्रिया लम्बी :- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अब तक 18 हजार से ज्यादा विदेशी दानकर्ताओं को उनका पैसा वापस कर दिया है। अभी यह प्रक्रिया जारी है। सभी दानदाताओं का पैसा वापस करने में कुछ समय लग सकता है।
अब तक 3500 करोड़ रुपए चंदा :- अयोध्या में भगवान राम मंदिर निर्माण के लिए 3 अप्रैल 2021 तक लगभग 3500 करोड़ रुपए समर्पण निधि (चंदा) एकत्र हो चुकी है। 15 जनवरी से 27 फरवरी 2021 तक चले इस समर्पण अभियान में विहिप ने देश के 12.70 करोड़ परिवारों तक अपनी पहुंच बनाई। इन परिवारों के 65 करोड़ लोगों ने इस अभियान में अपना योगदान दिया।
एफसीआरए सर्टिफिकेट क्या है? :- एफसीआरए यानि फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 1976 को लागू किया गया था, लेकिन नया फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 आ गया जिसे 1 मई 2011 से लागू किया गया है। जिसमें भारत सरकार के गृह मंत्रालय से विदेशी चंदा के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट यानी विदेशी सहयोग विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का सर्टिफिकेट जरूरी होता है। इससे जो एनजीओ या ट्रस्ट है जिसको विदेशों से चंदा मिलता है उस पर भारत सरकार का एक लगाम सा रहता है। एनजीओ या ट्रस्ट को विदेशी सहयोग विनियमन अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है।