‘एक राम दशरथ का बेटा,एक राम घट घट में बैठा।
एक राम है सकल पसारा, एक राम है जग से न्यारा।।’ तुलसी और वाल्मीकि के राम
आचार्य प्रशांत बताते हैं कि राम के स्पर्श ने रामभोला को तुलसीराम और तुलसीराम को तुलसीदास बना दिया। लेकिन याद रखना होगा कि जैसा भक्त होता है, वैसा ही उसका भगवान भी होता है। भगवान तो भक्त को रचता ही है, भक्त के हाथों भी भगवान की रचना निरंतर होती रहती है।
एक राम है सकल पसारा, एक राम है जग से न्यारा।।’ तुलसी और वाल्मीकि के राम
आचार्य प्रशांत बताते हैं कि राम के स्पर्श ने रामभोला को तुलसीराम और तुलसीराम को तुलसीदास बना दिया। लेकिन याद रखना होगा कि जैसा भक्त होता है, वैसा ही उसका भगवान भी होता है। भगवान तो भक्त को रचता ही है, भक्त के हाथों भी भगवान की रचना निरंतर होती रहती है।
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