अयोध्या मंडल कारागार में लगे स्पेशल बेंच में जनपद न्यायाधीश की ओर से नामित 3 अपर जिला न्यायाधीश और दो जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत ने 7 वर्ष व इससे कम सजा वाले मामलों की सुनवाई की ओर कुल 61 लोगों को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया। स्पेशल अदालत की ओर से जमानत पर रिहा करने का आदेश दिए जाने के बाद अब संबंधित विचाराधीन बंदियों को रिहा किए जाने को लेकर कागजी औपचारिकताओं की कवायद पूरी कराई गई। जिसके बाद प्रशासनिक आदेश के तहत जमानत पर रिहा किए गए सभी विचाराधीन बंदियों को पुलिस अपने वाहन से उनके घरों तक पहुंचाई।
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रदेश सरकारों को एडवाइजरी जारी की गई थी कि 7 साल या इससे कम सजा वाले अपराधों में आरोपियों को लाक डाउन के तहत अभियान चलाकर जमानत दी जाए तथा सिद्धदोष मामलों में सजायाफ्ता लोगों को 8 सप्ताह की विषेश पैरोल मंजूर की जाए। वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर सभी जनपद न्यायालयों को बंद कर दिया गया है। लाक डाउन की तिथियों के दौरान सुनवाई की तिथियों को सामूहिक रूप से अग्रिम आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से सभी जिलों के जनपद न्यायाधीशों को विशेष मामलों की सुनवाई तय करने का अधिकार दिया है और इसके लिए जजों की विशेष पीठ नियुक्त करने की बात कही है। हाईकोर्ट के आदेश के चलते केवल रिमांड मजिस्ट्रेट ही बैठ रहे हैं तथा विशेष मामलों की ही सुनवाई हो रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और शासन की पहल के बाद जनपद न्यायाधीश की ओर से लंबित मामलों में सुनवाई कर जमानत मंजूरी के लिए मंडल कारागार में 5 विशेष अदालतों को सुनवाई का निर्देश दिया गया। तीन अपर जिला न्यायाधीश और दो जुडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत ने विचाराधीन 135 मामलों का विचारण किया विचारण के बाद कुल 61 लोगों की जमानत मंजूर कर दी।
मंडल कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि मंडल कारागार में 5 विशेष अदालतें लगाई गई थी। इन अदालतों की ओर से कुल विचाराधीन बंदियों के 135 मामलों की सुनवाई की गई और 61 को अंतरिम जमानत मंजूर की गई। उन्होंने बताया कि शासन प्रशासन के निर्देश पर पुलिस बल की सुरक्षा और सरकारी साधन से सभी जमानत पाये बंदियों को इनके घरों तक पहुंचाया गया।