क्यों किया गया बदलाव?
रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री (MoRTH) ने सेकंड हैंड व्हीकल्स से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव किया है। ऐसा इस प्रोसेस को आसान करने के लिए तो किया ही गया है, साथ ही कई बार सेकंड हैंड व्हीकल्स को खरीदने और बेचने के समय होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए भी किया गया है। नए नियमों से दोनों पक्षों को काफी आसानी होगी और बिना मतलब की झंझट से छुटकारा भी मिलेगा।
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क्या हैं नए संशोधित नियम? सेकंड हैंड व्हीकल्स को खरीदने और बेचने से जुड़े संशोधित नियम इस प्रकार हैं।
1. धोखाधड़ी रोकने के लिए अब आरटीओ से रजिस्टर्ड कंपनियाँ और डीलर्स ही सेकंड हैंड व्हीकल्स खरीद या बेच पाएंगी।
2. नियमों में संशोधन से व्हीकल ट्रांसफर में होने वाली परेशानी, थर्ड पार्टी से बकाया वसूली, डिफाफॉल्टर तय करने जैसी परेशानियों से तो राहत मिलेगी ही, साथ ही आरटीओ के बिना मतलब के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे।
3. सेकंड हैंड व्हीकल को बेचने से पहले रजिस्टर्ड व्हीकल की जानकारी देनी होगी।
4. ऐसे डीलर्स या लोग जो आरटीओ रजिस्टर्ड नहीं हैं, व्हीकल रजिस्ट्रेशन पेपर्स, फिटनेस सर्टिफिकेट, एनओसी और व्हीकल ट्रांसफर के लिए अप्लाई कर सकेंगे और वो भी आसान प्रोसेस से।