क्यों खारिज हुआ आवेदन
पीटीआई की रिपोर्ट है कि एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि “एक निश्चित नियम पर इस तरह का आवेदन विचार करने योग्य नहीं था। एनजीटी के फैसले में कहा गया है, “एक तय मामले में इस तरह के आवेदनों पर हर समय विचार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जिसे मद्देनजर रखते हुए आवेदन को खारिज किया जाता है।”
कई बार हुई याचिका खारिज
यह फैसला तब आया जब कोर्ट ट्रिब्यूनल सरबजीत ए सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में 10 साल की समय सीमा से परे डीजल वाहन का उपयोग करने के लिए छूट देने का निर्देश देने की मांग की गई थी, इस आधार पर कि आवेदक 100 प्रतिशत विकलांग है। बता दें, यह पहली बार नहीं है जब एनजीटी ने इस तरह की याचिका को खारिज किया है। इससे पहले भी, एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाने के अपने आदेश में संशोधन की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था।
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एक डीजल कार 24 पेट्रोल वाहनों जितनी प्रदुषित
एनजीटी के मुताबिक एक डीजल वाहन 24 पेट्रोल वाहनों या अन्यथा 40 सीएनजी वाहनों के बराबर प्रदूषण का कारण बनता है। वहीं इस फैसले ने अचानक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़ी संख्या में यात्री और वाणिज्यिक वाहनों को चलने से अयोग्य बना दिया। प्रदूषण उत्सर्जन के आधार पर न केवल 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर बल्कि 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर भी प्रतिबंध लागू किया गया था। हालांकि, दिल्ली सरकार की अपनी दिल्ली ईवी नीति के तहत नवीनतम घोषणा के अनुसार, ऐसे पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों के मालिक अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल सकते हैं और उन्हें दिल्ली-एनसीआर में चला सकते हैं।