आनंद महिंद्रा ने आज शाम बेटर इंडिया द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा करते हुए लिखा कि, “यदि एमबीए के छात्र इस चालक के साथ एक दिन बिताते हैं तो यह ग्राहक अनुभव प्रबंधन (Customer Experience Management) के लिए कम्प्रेस्ड पाठ्यक्रम पढ़ने जैसा होगा। यह आदमी न केवल एक ऑटो चालक है … बल्कि यह प्रबंधन का प्रोफेसर है।”
इस चालक में ऐसा क्या दिखा आनंद महिंद्रा को:
दरअसल, इस पोस्ट में 2 मिनट 20 सेकेंड का एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें चेन्नई के रहने वाले ऑटो रिक्शा चालक अन्ना दुरई के अनोखे मैनेजमेंट स्किल को दिखाया गया है। अन्ना दुरई पेशे से भले ही एक ऑटो रिक्शा चालक हैं, लेकिन फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं और उनका रिक्शा किसी लग्जरी सुविधाओं से लैस कार से कम नहीं है। अन्ना ने अपने रिक्शा को कई एडवांस सुविधाओं से लैस किया है, जिसमें आईपैड प्रो, पोर्टेबल फ्रीज़, टीवी, मैग्जीन, न्यूज पेपर, फ्री वाई-फाई, लैपटॉप, गैलेक्सी टैबलेट, हैंड सैनेटाइज़र, स्नैक्स इत्यादि शामिल है।
ये सभी सुविधाएं यात्रियों के लिए दी गई हैं, जिनका इस्तेमाल ग्राहक (पैसेंजर) यात्रा के दौरान कर सकते हैं। 37 वर्षीय अन्नादुरई पेशे से ऑटो चालक हैं और उन्होनें केवल 12वीं तक ही पढ़ाई की है, लेकिन इनका मैनेजमेंट स्किल इतना शानदार है कि बड़ी से बड़ी कंपनियां भी उन्हें स्पीच के लिए आमंत्रित करती हैं। शायद यही कारण है कि, आनंद महिंद्रा ने भी इस पोस्ट में अपने सहयोगी कंपनी महिंद्रा इलेक्ट्रिक के सीईओ सुमन मिश्रा को टैग करते हुए लिखा कि, “हमें इनसे (अन्नादुरई) से मैनेजमेंट सिखना चाहिएं।”
बेटर इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अन्नादुरई मूल रूप से तमिलनाडु के तंजावुर जिले के पेरावुरानी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता और बड़े भाई दोनों ऑटो ड्राइवर हैं और बीते दिनों आर्थिक समस्याओं के कारण उन्हें 12वीं में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन अन्ना ने हार नहीं मानी और अपने ज्ञान और हुनर को अपने नए पेशे (ऑटो रिक्शा) में इस्तेमाल किया। शुरुआत में उन्होनें अपने ऑटो में न्यूज पेपर रखना शुरू किया और धीमें-धीमें सुविधाओं को बढ़ाया।
इन लोगों को फ्री में देते हैं राइड:
अन्ना अपने इस ऑटो रिक्शा में न केवल बेहतरीन सुविधाएं देते हैं बल्कि टीचर, डॉक्टर, नर्स और सैनेटाइजेशन वर्कर जैसे पेशे से जुड़े लोगों को मुफ्त यात्रा कराते हैं। अन्नादुरई का कहना है कि, शुरुआत में मुझे लोगों का इंतज़ार करना पड़ता था और अब स्थिति ये है लोगे मेरा इंतज़ार करते हैं।