अडानी समूह इस क्षेत्र के लिए पूरी तरह से अनुकूल लगता है, क्योंकि उसके पास ईवी रेंज में सफलता प्राप्त करने के लिए अधिकांश संसाधन मौजूद हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण में से एक धन है, जिसकी ईवी स्पेस में एंट्री करने पर सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। अदानी के पास वर्तमान में नेचुरल गैस और बिजली उत्पादन सहित कई सफल व्यवसाय हैं। बताते चलें, कि इसी तरह की कहानी टाटा मोटर्स के साथ देखी जा सकती है, जिसकी हाल ही में सहायक कंपनी टाटा पावर वर्तमान में ईवी चार्जिंग स्टेशनों का एक विस्तृत नेटवर्क बना रही है।
अदानी समूह पहले से ही दुनिया के सबसे बड़े सौर संयंत्रों में से एक का संचालन करता है। वहीं अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) का बाजार पूंजीकरण हाल ही में 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जिससे यह मारुति सुजुकी, आईटीसी, लार्सन एंड टुब्रो, एवेन्यू सुपरमार्ट्स, बजाज फिनसर्व और टाइटन कंपनी की तुलना में अधिक मूल्यवान हो गया।
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यहां ध्यान देने वाली बात यह है, कि अदानी समूह उन संस्थाओं में शामिल होगा, जो प्योर-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अदानी ने अगले दस वर्षों के लिए 70 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश निर्धारित किया है, और इनका प्राथमिक उद्देश्य कंपनी द्वारा उत्पादित कुल बिजली में वित्त वर्ष 2030 तक हिस्सेदारी को 70% तक बढ़ाना है। फिलहाल, देखना होगा कि अदानी समूह भारत के ईवी स्पेस में कौन सा वाहन लॉन्च करने पर विचार कर रही है।