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मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को ही प्रकाश अम्बेडकर की वंचित बहुचन अघाड़ी प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन शामिल हुई है. अब यह गठबंधन 2 अक्टूबर को प्रथम चरण के उम्मीदवारों की घोषणा करेगा. बता दें कि बिहार में अब तक पांच बड़े मोर्चे बन चुके हैं और एक यशवंत सिन्हा का तीसरा मोर्चा भी जिनमें कई प्रमुख राजनीतिक नाम शामिल हैं. आइये एक नजर डालते हैं कि बिहार में किस मोर्चे में कौन सी पार्टी शामिल है.
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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( NDA)- इस गठबंधन की ही सरकार बिहार में शासन कर रही है. इसमें जनता दल यूनाइडेट, भारतीय जनता पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी पहले से शामिल है. वहीं, हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी इसका हिस्सा हो गई है.
महागठबंधन- बिहार में महागठबंधन राष्ट्रीय जनता दल की अगुआई में बनी है. इसमें फिलहाल आरजेडी के साथ ही कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एम), भाकपा माले शामिल है. हालांकि यहां भी सीट शेयरिंग का मामला फाइनल नहीं हुआ है.
प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन – जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने इस मोर्चे का गठन किया है. इसमें उनकी जन अधिकर पार्टी, चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ की आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी की एसडीपीआई, वीएल मतंग की बहुजन मुक्ति पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग शामिल है. अब इसमें प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी भी शामिल है.
रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने महागठबंधन से अलग होकर नए गठबंधन ऐलान किया. उन्होंने रालोसपा, मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट पार्टी के साथ एक नया चुनावी फ्रंट तैयार किया है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव की पार्टी समाजवादी जनतादल के बीच गठबंधन किया है. इस गठबंधन को यूनाइटेड डेमोक्रेटिक सेक्युलर एलायंस (यूडीएसए) का नाम दिया गया है.
गौरतलब है कि पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी बिहार में एक चुनावी मोर्चा बनाया है. इसमें ज्यादातर ऐसे नेता शामिल हुए हैं, जो न तो महागठबंधन का हिस्सा हैं और न ही एनडीए का. इसमें यशवंत के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व बिहार मंत्री नरेंद्र सिंह और रेनू कुशवाहा, पूर्व सांसद अरुण कुमार और नागमणि जैसे नेता शामिल हैं. राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। अगर आने वाले समय में कोई दल किसी और के साथ चला जाए या नया गठंधन बन जाए तो कुछ कहा नहीं जा सकता।