ये भी पढ़ें- Lok Sabha result- उप्र में भाजपा नहीं दोहरा पाई पिछला प्रदर्शन, गठबंधन की बड़ी सफलता, कांग्रेस को भारी नुकसान डिंपल यादव-
कन्नौज में सपा का किला ढह गया। अपनी परंपरागत सीट को सपा, बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद बचाने में फेल हो गई और वर्षों बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 359348 वोट मिले, वहीं उनके प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक 384544 मतों से आगे रहे। सपा की परंपरागत सीटों में शामिल मैनपुरी, आजमगढ़, कन्नौज, रामपुर में से किसी भी सीट के हारने की उम्मीद पार्टी को नहीं थी, लेकिन परिणाम ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
कन्नौज में सपा का किला ढह गया। अपनी परंपरागत सीट को सपा, बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद बचाने में फेल हो गई और वर्षों बाद यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को 359348 वोट मिले, वहीं उनके प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक 384544 मतों से आगे रहे। सपा की परंपरागत सीटों में शामिल मैनपुरी, आजमगढ़, कन्नौज, रामपुर में से किसी भी सीट के हारने की उम्मीद पार्टी को नहीं थी, लेकिन परिणाम ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
राहुल गांधी- अमेठी में कांटे की टक्कर के बाद राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का मुकाबला भाजपा की स्मृति ईरानी से था। इस सीट पर कांटे की टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन राहुल गांधी की हार की किसी ने कल्पना नहीं की थी। हालांकि इस हार का आभास शायद कांग्रेस को पूर्व में ही हो गया था, जिस कारण राहुल गांधी को केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ाया गया। जहां उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की है।
राजबब्बर-
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की प्रतिष्टा दांव पर थी। लेकिन इस बार भी वे भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चहर से भारी मतों से हार गए। राजकुमार चहर ने जहां चार लाख से ज्यादा मत हासिल किए, तो वहीं राजबब्बर उसके आधे वोट भी हासिल नहीं कर पाए।
फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की प्रतिष्टा दांव पर थी। लेकिन इस बार भी वे भाजपा प्रत्याशी राजकुमार चहर से भारी मतों से हार गए। राजकुमार चहर ने जहां चार लाख से ज्यादा मत हासिल किए, तो वहीं राजबब्बर उसके आधे वोट भी हासिल नहीं कर पाए।
शिवपाल सिंह यादव-
सपा से मुंह फेर कर गए शिवपाल सिंह यादव का अपने भतीजे अक्षय यादव से मुकाबला काफी चर्चा में रहा। लेकिन नतीजों में तो वह कहीं मुकाबले में नहीं रहे। प्रसपा-सपा की टक्कर से यह सीट सपा-भाजपा में तब्दील हो गई। अक्षय यादव और भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जदाऊ ने 4-4 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए। दोनों में कुछ ही वोटों का अंतर दिखा। वहीं यूपी की 55 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाले शिवपाल सिंह यादव एक लाख का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए।
सपा से मुंह फेर कर गए शिवपाल सिंह यादव का अपने भतीजे अक्षय यादव से मुकाबला काफी चर्चा में रहा। लेकिन नतीजों में तो वह कहीं मुकाबले में नहीं रहे। प्रसपा-सपा की टक्कर से यह सीट सपा-भाजपा में तब्दील हो गई। अक्षय यादव और भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जदाऊ ने 4-4 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए। दोनों में कुछ ही वोटों का अंतर दिखा। वहीं यूपी की 55 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाले शिवपाल सिंह यादव एक लाख का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए।
आरपीएन सिंह- कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह केवल एक बार 2009 में लोकसभा चुनाव जीते थे। यूपीए सरकार में उन्होंने गृह राज्यमंत्री का पद भी संभाला। फिर भी वह कांग्रेस के चहेते नेताओं में से एक हैं और पार्टी की राष्ट्रीय टीम का भी हिस्सा रहे हैं। सीनीयर नेता होने के कारण आरपीएन सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर थी। लेकिन वे भाजपा प्रत्याशी विनय कुमार दुबे से लगभग चार लाख व सपा प्रत्याशी एनपी कुशवाहा से लगभग एक लाख मतों के अंतर से हार गए।