धर्म/ज्योतिष

Mahamaya Temple : 30 हजार मनोकामना ज्योत से आलोकित चमत्कारिक महामाया मंदिर, हर दिन पहुंचते हैं एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु

Mahamaya Temple : रतनपुर में स्थित 12वीं शताब्दी का मां महामाया मंदिर नवरात्र के पहले दिन से ही आस्था और भक्ति का केंद्र बन गया है। जिला मुख्यालय से करीब 26 किमी दूर, इस मंदिर में सप्तमी के बाद से हर दिन एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। देवी की पूजा यहां 51वीं शक्तिपीठ के रूप में होती है

बिलासपुरOct 07, 2024 / 06:12 pm

Manoj Kumar

Mahamaya Temple: Illuminated by 30,000 Wishes, Attracting Thousands of Devotees

Mahamaya Temple : बिलासपुर. जिला मुख्यालय से करीब 26 किमी दूर रतनपुर स्थित 12वीं शताब्दी के मां महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) में नवरात्र के पहले दिन से ही आस्था व भक्ति का उल्लास है। सप्तमी के बाद से यहां हर दिन एक लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। यहां देवी की पूजा 51वीं शक्तिपीठ के रूप में होती है। मान्यता है कि यहां सती का दाहिना कंधा गिरा था।

Mahamaya Temple : 18 कमरों में सिर्फ मनोकामना ज्योत

महामाया मंदिर (Mahamaya Temple) ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी सतीश शर्मां ने बताया कि मंदिर के 18 कमरों में 30 हजार मनोकामना ज्योत की व्यवस्था की गई है। पहले दिन सुबह 11 बजे तक गर्भगृह के ज्योत से लगभग सभी मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कर दी गईं। कमरे के आकार के अनुसार 1100, 1500, 1800 और 2500 ज्योत कलश रखे गए हैं। इनकी देखरेख के लिए करीब 300 व्यक्तियों को लगाया है। इनमें से सात समुंदर पार के कई श्रद्धालुओं की ज्योत भी जल रही है। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि इतनी संख्या में मनोकामना ज्योत देश के किसी मंदिर में प्रज्वलित नहीं होती हैं।

Mahamaya Temple : 16 स्तंभों पर टिका है मंदिर का मंडप

कलचुरी वंश के शासक रत्नदेव प्रथम ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह कलचुरी वंश के राजाओं की कुलदेवी मानी गईं। नागर शैली में बना मंदिर का मंडप 16 स्तंभों पर टिका है। गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1552 में हुआ था। मंदिर का जीर्णोद्धार वास्तुकला विभाग द्वारा कराया गया है। मंदिर की स्थापत्य कला भी बेजोड़ है। गर्भगृह और मंडप एक आकर्षक प्रांगण के साथ किलेबंद हैं, जिसे मराठा काल में बनाया गया था।

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Mahamaya Temple : मंदिर परिसर में तीन धर्मशालाएं

श्रद्धालुओं के ठहरने व दैनिक दिनचर्या के लिए मंदिर परिसर में तीन धर्मशालाएं हैं। नवरात्र में प्रतिदिन नि:शुल्क भंडारा हो रहा है, जिसमें 15 हजार लोग शामिल हो रहे हैं। सप्तमी के बाद यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। मंदिर में हर दिन निकलने वाली पूजन सामग्री परिसर में स्थित तालाब में विसर्जित की जाती है, जिसे मछलियां सहित जलीय जंतु खा जाते हैं। परिसर में तीन तालाब के अलावा चारों ओर हरियाली है। माता रानी के भोग व भंडारा के लिए नवरात्र में करीब 400 किलो घी मंगवाया गया है।

Mahamaya Temple : नवमी को विशेष राजसी शृंगार…

नवरात्र में हर दिन दानपेटी खोली जाती है। दान में मिली राशि, सोना-चांदी आदि वस्तुओं का रिकॉर्ड रखा जाता है। माता को अर्पित गहनों से दूसरे दिन मां का शृंगार किया जाता है। नवमी को विशेष राजसी शृंगार होता है। बाकी दिनों में हर सप्ताह दान पेटी खोली जाती है। नगरपालिका रतनपुर को ट्रस्ट की ओर से हर साल 20 लाख रुपए विकास कार्य के लिए दिए जाते हैं। मंदिर व परिसर सीसीटीवी से लैस है।
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