सावन में करें ये अनुष्ठान
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने के बाद यथा श्रद्धा भक्ति, सत्संग, पारायण का भी लाभ लिया जा सकता है। मान्यता है कि पारायण करने के बाद या सत्संग के बाद में खड़े धान का दान करना चाहिए और पशु पक्षियों को चारा देना चाहिए। यह एक विशेष अनुक्रम रहता है, जिसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। ये भी पढ़ेंः Nag Panchami Katha: इस पौराणिक कथा को पढ़े बिना अधूरी है नाग पंचमी पूजा, जानें कब है नाग पंचमी और नाग पंचमी पूजा मुहूर्त
शिव आराधना के इन उपायों से मिलेगा आशीर्वाद
सावन में भगवान शिव की आराधना करने से मनोरथ सिद्ध होते हैं। पूरे मास शिव कथा, लीला, शिव महापुराण या शिव स्तोत्र के पाठ, शिव कवच, महामृत्युंजय की साधना करने से मन, बुद्धि, शरीर का रोग समाप्त होता है। उत्तम स्वास्थ्य, उत्तम दीर्घायु की प्राप्ति होती है। यही नहीं मास पर्यंत पंचोपचार या षोडशोपचार से भगवान शिव की पूजन की जाती है या शिवलिंग का नित्य अभिषेक किया जाता है, अगर पंचामृत का अभिषेक ना हो सके, तो जल से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।