शास्त्रों का मत
किला रोड महादेव अमरनाथ के पं. कमलेशकुमार दवे, पं. नारायणदत्त शिवनारायण (सरदारजी) दवे, पं. प्रेमप्रकाश ओझा, पं. धीरेन्द्र दवे के अनुसार धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, व्रतराज आदि शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि त्रयोदशी व चतुर्दशी दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी है। शास्त्रों का मत है कि दोनों दिन होने पर पहले दिन अर्थात त्रयोदशी को ग्रहण करनी चाहिए। इस साल वैशाख शुक्ला त्रयोदशी व चतुर्दशी दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी होने से पहले दिन अर्थात 21 मई मंगलवार त्रयोदशी शाम को ही नृसिंह जयन्ती मनाना शास्त्र सम्मत माना गया है। पं. अचलेश्वर ओझा, गोपाल शर्मा दाधीच, रामेश्वर त्रिवेदी के अनुसार, जिस दिन प्रदोष व्यापिनी अधिक हो,इस दृष्टि से त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्यापिनी अधिक है। इसलिए 21 मई को नृसिंह जयन्ती मनाना शास्त्र सम्मत होगा। इस दिन स्वाति नक्षत्र होने पर भी यह दिन खास महत्व रखता है।