माता के नाम से ही प्रकट होता है कि सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं मां सिद्धदात्री। माता की पूजा देव, दानव, ऋषि-मुनि, यक्ष, साधक, किन्नर और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इनकी पूजा -अर्चना करता है उसकों यश, बल और धन की प्राप्ति होती है।
Maa Siddhidatri Worship : ऐसा है माता का स्वरूप
सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri Worship) कहा जाता है और सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप है। माँ देवी का वाहन सिंह है। माँ देवी के चार हाथ हैं और इनके दाहिने ओर नीचे वाले हाथ में चक्र है और ऊपर वाले हाथ में गदा है। माता के बाई ओर के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल हैऔर ऊपर वाले हाथ में शंख है।
माता सिद्धिदात्री का भोग Offering of Maa Siddhidatri
माता की पूजा करने के लिए नवाहन का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन और नौ प्रकार के फल फूल आदि का अर्पण करके नवरात्र का समापन किया जाता है। माता का हलवा और चने का भोग लगाया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा करते समय जामुनी और बैंगनी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग अध्यात्म को दर्शाता है। यह भी पढ़ें : अंडे से भी ज्यादा प्रोटीन लिए बैठें हैं ये 9 देसी स्नैक्स, इस तरह से करें डाइट में शामिल
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
मां सिद्धिदात्री का पूजा मंत्र : Worship Mantra of Maa Siddhidatri
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः। माता की पूजा कैसे करें?
सुबह में स्नान करके साफ- सुथरे कपड़े पहनें। उसके बाद पूजा स्थान पर माता की चौकी लगाए। उसके बाद मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। उसके बाद माता का गंगा जल से अभिषेक करें। माँ को लाल चुनरी, अक्षत्, फूल, माला, सिंदूर, फल, नारियल, चना, खीर, हलवा, पूड़ी आदि अर्पित करें।माता को कमल का फूल अर्पित करें। मां सिद्धिदात्री की आरती करें। उसके बाद माता का हवन करें और कन्या पूजन करें। पूजा के बाद धारण किया हुआ व्रत पूर्ण करें। मां सिद्धिदात्री के शुभ मुहूर्त और योग
सुबह 05:25 बजे से अगले दिन 12 अक्टूबर को सुबह 06:20 बजे तक है।
अभिजित मुहूर्त 11:44 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक है।
सुबह में स्नान करके साफ- सुथरे कपड़े पहनें। उसके बाद पूजा स्थान पर माता की चौकी लगाए। उसके बाद मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। उसके बाद माता का गंगा जल से अभिषेक करें। माँ को लाल चुनरी, अक्षत्, फूल, माला, सिंदूर, फल, नारियल, चना, खीर, हलवा, पूड़ी आदि अर्पित करें।माता को कमल का फूल अर्पित करें। मां सिद्धिदात्री की आरती करें। उसके बाद माता का हवन करें और कन्या पूजन करें। पूजा के बाद धारण किया हुआ व्रत पूर्ण करें। मां सिद्धिदात्री के शुभ मुहूर्त और योग
सुबह 05:25 बजे से अगले दिन 12 अक्टूबर को सुबह 06:20 बजे तक है।
अभिजित मुहूर्त 11:44 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक है।
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मां सिद्धिदात्री हवन मंत्र : Maa Siddhidatri Hawan Mantra
ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा।