कैसे पहचानें लहसुनिया
रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया रत्न यानी Cats eye मटमैले से रंग का चमकीला प्राकृतिक रत्न है। इस चमकीले रत्न की बीच में बिल्ली की आंख की तरह बनावट होती है। इसी कारण इसे कैट्स आई कहा जाता है। यह कई रंग, लहसुन का रंग, पीले, काले, सफेद और हरे रंग का होता है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वही लहसुनिया पहनें जिसमें कम से कम चार या इससे अधिक धारियां न हों।हालांकि बाजार में कई बार नकली रत्न बिकते नजर आते हैं। ऐसे में इसकी पहचान जरूरी है। यदि लहसुनिया को एक कपड़े से रगड़ें, अगर लहसुनिया की चमक बढ़ जाए तो समझिए लहसुनिया असली है। रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया जिसे सूट करता है उसके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है।
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लहसुनिया रत्न पहनने के फायदे
लहसुनिया पहनने से व्यापार, नौकरी में अधिक तरक्की मिलती है। इस रत्न को पहनने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इसको पहनने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। आइये जानते हैं कब पहनें लहसुनिया ..- रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया केवल केतु कमजोर होने पर ही नहीं बल्कि केतु की अंतर दशा और महा दशा चलने पर भी धारण करना चाहिए।
2. अगर आपको नजर दोष या कोई भय सता रहा है तो भी लहसुनिया पहनना चाहिए। आप इसे अंगूठी या फिर चांदी के लॉकेट में पहन सकते हैं।
4. रत्न शास्त्रियों के अनुसार लहसुनिया रत्न को कभी भी पुखराज, मोती और हीरे के साथ नहीं पहनना चाहिए। बहुत से लोग हीरे की अंगूठी में लहसुनिया रत्न पहन लेते हैं, इसका दुष्प्रभाव हो सकता है।
5. यदि आपको अपने व्यापार में लगातार हानि हो रही है तो ज्योतिषी की सलाह से लहसुनिया रत्न को चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहन सकते हैं। ये भी पढ़ेंः क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करता है रुद्राक्ष, जानें कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान
ऐसे लोगों को जरूर पहननी चाहिए लहसुनिया
- रत्न शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो उसे लहसुनिया पहनना चाहिए। इसे पहनने से भय से मुक्ति मिलती है और साथ ही भ्रम की स्थिति नहीं बनती।
2. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की अंतर या महादशा चल रही हो तो लहसुनिया रत्न पहनना अधिक शुभफल देता है।
जिन लोगों की कुंडली में केतु पहले, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भाव में मौजूद होता है, उन्हें भी लहसुनिया पहनना चाहिए।
3. इसके अलावा कुंडली में केतु के साथ सूर्य मौजूद हैं तो वह भी लहसुनिया पहनना चाहिए।
4. नजर दोष से बचने के लिए भी लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए। यदि आप छोटे बच्चे को यह रत्न पहना रहे हैं तो एक चांदी के लॉकेट में जड़कर इस रत्न को पहना सकते हैं।
5. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में छाया ग्रह केतु भाग्येश या फिर पांचवें भाव में मौजूद है तो लहसुनिया रत्न पहनने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
6. यदि किसी व्यक्ति को लगातार व्यापार में हानि हो रही है और लगातार धन डूब रहा है तो ज्योतिषी की सलाह लेकर लहसुनिया रत्न पहना जा सकता है।
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2. यदि किसी व्यक्ति ने पुखराज, मोती, हीरा या फिर माणिक्य रत्न पहन रखा हो तो उसे लहसुनिया रत्न बिल्कुल भी नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने पर अच्छे की जगह आपकी लाइफ में बुरा हो सकता है।
किसे नहीं पहनना चाहिए लहसुनिया रत्न
- रत्न शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में केतु दूसरे, सातवें, आठवें या फिर बारहवें भाव में हो उन्हें लहसुनिया रत्न नहीं पहनना चाहिए।
2. यदि किसी व्यक्ति ने पुखराज, मोती, हीरा या फिर माणिक्य रत्न पहन रखा हो तो उसे लहसुनिया रत्न बिल्कुल भी नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने पर अच्छे की जगह आपकी लाइफ में बुरा हो सकता है।
लहसुनिया रत्न से इन बीमारियों से मिलती है मुक्ति
लहसुनिया रत्न का कई बीमारियों में भी फायदा होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को श्वांस से संबंधित कोई बीमारी हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी परेशान करती है तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनना लाभ देगा। बताते हैं कि लहसुनिया पहनने के बाद एक माह में असर दिखाने लगता है।
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