पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस दौरान सूर्य की चाल धीमी पड़ जाती है, क्योंकि वो अपने थके हुए घोड़ों को चरने के लिए छोड़कर गर्दभ (खर) की सवारी कर संसार को ऊर्जा प्रदान करने का काम करते हैं। इसलिए इस महीने को खरमास और मलमास कहते हैं।
Kharmas Mahatv: हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना साल में दो बार आता है। इस समय गृहस्थों द्वारा कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है, वर्ना जीवन में अलग-अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि पूजा-पाठ और ध्यान के लिए यह समय बहुत शुभ माना जाता है।
प्रायः मार्च-अप्रैल में साल का पहला खरमास और दिसंबर के आसपास दूसरा खरमास लगता है। इस दौरान भगवान विष्णु और सूर्य नारायण की आराधना का विधान है। मान्यता है कि खरमास के दौरान श्रद्धा से भगवान का स्मरण करने से भक्त को जीवन में सुख समृद्धि मिलती है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 के अंतिम महीने दिसंबर की 15 तारीख को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसी समय से खरमास की शुरुआत हो जाएगी। बता दें कि खरमास की शुरुआत रविवार 15 दिसंबर रात 10.19 बजे होगी।
कब शुरू होगा खरमास (Kharmas 2024 Start Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 के अंतिम महीने दिसंबर की 15 तारीख को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसी समय से खरमास की शुरुआत हो जाएगी। बता दें कि खरमास की शुरुआत रविवार 15 दिसंबर रात 10.19 बजे होगी।कब खत्म होगा खरमास (Kharmas End Date)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य गुरु बृहस्पति की राशि से निकलते हैं और किसी अन्य राशि में भ्रमण करना शुरू करते हैं तब खरमास खत्म होता है। इस तरह 14 जनवरी 2025 को जब शनि की राशि मकर में सूर्य गोचर करेंगे तब खरमास खत्म होगा। इसी समय से शुभ और मंगल कार्यों में लगी धार्मिक रोक हट जाएगी। ये भी पढ़ेंः Budh Grah Jyotish: बुध ग्रह का क्या है ज्योतिष में महत्व, जानिए किन 6 उपायों से बुध देंगे शुभ फल
खरमास को क्यों कहते हैं मलमास
खरमास को मलमास कहने के पीछे ज्योतिष शास्त्र में वजह बताई गई है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार इस समय आत्मा, ऊर्जा और शक्ति के कारक सूर्य की स्थिति कमजोर मानी जाती है, जिससे उसके शुभ प्रभावों में कमी आती है। इसके कारण इस दौरान किए गए कार्यों में स्थायित्व की कमी हो सकती है। इसी कारण खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार शुरू करना, या किसी प्रकार की नई शुरुआत पर रोक रहती है। मान्यता है कि खरमास में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना कम होती है। हालांकि इस समय धार्मिक गतिविधियों का अत्यंत महत्व है। मान्यता है कि इस समय भगवान विष्णु की पूजा, दान-पुण्य, और व्रत का कई गुना अधिक फल मिलता है।