ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे जीवन से जुड़े इन तमाम पहलुओं का संबंध हमारी कुंडली के नौ ग्रहों की स्थिति से होता है। यदि कुंडली में ग्रह अशुभ अवस्था में हैं यानी कुंडली में ग्रह दोष है तो ये परेशानियां आती ही हैं। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र में ग्रह दोष दूर करने और शुभता प्राप्त करने के लिए कई तरह के उपाय बताए गएं हैं।
इन्हें करने पर जीवन से जुड़ी तमाम तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं। इससे सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इन्हीं ग्रह दोष दूर करने के उपायों में शामिल हैं, ग्रह दोष निवारण मंत्र, आइये जानते हैं हर ग्रह से संबंधित दोष दूर करने के मंत्र और उपाय (Grah Dosh Nivaran Mantra)
सूर्य
Surya Dosh Ke Lakshan: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार जीवन में सुख-संपत्ति और साहस को कायम रखने के लिए सूर्यदेव की कृपा की जरूरत होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य की दशा न सिर्फ उसकी सेहत, संपत्ति और सुख-शांति पर असर डालती है बल्कि उसे राजा से रंक बनाने की भी क्षमता रखती है।जन्मांग यानी कुंडली में ग्रहों के राजा सूर्य यदि मजबूत अवस्था में हैं तो जातक राजा, मंत्री, सेनापति, प्रशासक, मुखिया, धर्म संदेशक आदि बनाता है। लेकिन यदि सूर्य कुंडली में निर्बल अवस्था में हैं तो वह स्वास्थ्य और सफलता की दृष्टि से खराब परिणाम देता है।
उपाय (Surya Dosh Ke Upay): सूर्यदेव की शुभता बढ़ाने और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए कभी भी झूठ न बोलें। इस उपाय को करने से सूर्य से संबंधी दोष दूर हो जाएगा और उनके शुभ फल मिलने शुरू हो जाएंगे। साथ ही प्रतिदिन उगते सूर्य का दर्शन करें और उन्हें ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहते हुए जल अर्पित करें। प्रतिदिन सूर्य को जल देने के बाद लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके निम्न मंत्र का 108 बार जप करें
”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।”
चंद्र
Chandra Dosh Ke Lakshan: ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार सूर्य की तरह चंद्रमा भी प्रत्यक्ष देवता हैं। नवग्रहों में चंद्र देवता को माता और मन का कारक माना जाता है। कुंडली में चंद्र ग्रह की अशुभता का मनुष्य के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। चंद्र दोष के कारण घर में कलह, मानसिक विकार, माता-पिता की बीमारी, दुर्बलता, धन की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं।उपाय (Chandra Dosh Ke Upay): चंद्र देव की शुभता पाने और उनसे जुड़े दोष दूर करने के लिए जितना ज्यादा हो सके, साफ-सफाई पर ध्यान दें। चंद्र दोष को दूर करने और उनकी कृपा पाने के लिए चंद्र देवता के इन मंत्रों का जाप काफी शुभ और असरकारक साबित होता है।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्।
नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥
मंगल
Mangal Dosh Ke Lakshan: ज्योतिष शास्त्र में अदम्य साहसी और पराक्रमी पृथ्वी पुत्र मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक किसी भी व्यक्ति में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए मंगल दोष के प्रभाव को दूर करना अत्यंत आवश्यक होता है।उपाय (Mangal Dosh Ke Lakshan): शनि की तरह मंगल ग्रह की अशुभता से आमतौर पर लोग डरते हैं। मंगल देवता की कृपा पाने और उससे जुड़े दोष को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए ..
ॐ अं अंगारकाय नम:।
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाह्यम्।
बुध
Budh Dosh Ke Lakshan: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध बुद्धि, व्यापार, त्वचा और धन का कारक ग्रह है। बुध ग्रह का रंग हरा है। वह नवग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे कमजोर और बौद्धिक रूप में सबसे आगे है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए बुधदेव की कृपा और शुभता अत्यंत जरूरी है।उपाय (Budh Dosh Ke Upay): यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है या फिर नीच अवस्था में हैं तो आपको बुध ग्रह की शुभता पाने के लिए बुध के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए
‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय् नम:।।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम।
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।
बृहस्पति
Brihaspati Dosh Ke Lakshan: ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति को एक शुभ देवता और ग्रह माना गया है। बृहस्पति के शुभ प्रभाव से सुख, सौभाग्य, लंबी आयु, धर्म लाभ आदि मिलता है। आमतौर पर देवगुरु बृहस्पति शुभ फल ही प्रदान करते हैं, लेकिन यदि कुंडली में यह किसी पापी ग्रह के साथ बैठ जाएं तो कभी-कभी अशुभ फल भी देने लगते हैं।उपाय (Guru Dosh Ke Upay): बृहस्पति दोष निवारण और बृहस्पति की कृपा पाने और इनसे जुड़े दोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन तुलसी या चंदन की माला से ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का 108 बार जप अवश्य करें।
देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकशं तं नमामि बहस्पतिम्।। ये भी पढ़ेंः Bhagwan Shiv: भगवान शिव हमें सिखाते हैं ये 5 बातें, लाइफ हो जाती है टेंशन फ्री और सफल
शुक्र
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को जीवन से जुड़े सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। शुक्र ग्रह से ही किसी जातक के जीवन में स्त्री, वाहन, धन आदि का सुख सुनिश्चित होता है। कुंडली में शुक्र मजबूत होने पर इन सभी सुखों की प्राप्ति होती है लेकिन अशुभ होने पर तमाम तरह के आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। दांपत्य जीवन के सुख का अभाव रहता है।
उपायः शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए ..
ॐ शुं शुक्राय नम:।
ॐ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
शनि
Shani Dosh Ke Lakshan: शनि देव ऐसे ग्रह यानी देवता हैं जिनसे अक्सर लोग डरते हैं। जबकि शनि कर्म के देवता हैं और आपके किए गए कार्य का फल जरूर देते हैं।उपाय (Shani Dosh Ke Upay): यदि आपकी कुंडली में शनि दोष है तो आप उसे दूर करने के लिए सबसे पहले अपने अपने व्यवहार में जरूरी परिवर्तन लाएं। विशेष रूप से अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी सेवा करें।
साथ ही शनिदेव से जुड़े मंत्रों का जाप करें। शनिदेव के ये मंत्र काफी प्रभावी हैं। शनिदेव को समर्पित इन मंत्रों को श्रद्धा के साथ जपने से निश्चित रूप से लाभ होता है।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः।
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः।
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।
राहु
ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो व्यक्ति को आसानी से सफलता नहीं मिल पाती है और परेशानियां बनी रहती है।उपायः कुंडली में इस ग्रह यानी राहु के दोष को दूर करने के लिए इसके मंत्र का जाप करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं। पढ़ें राहु मंत्र ..
‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’।
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
केतु
ज्योतिष शास्त्र में केतु को सर्प का धड़ माना गया है। गौरतलब है कि बगैर सिर के धड़ को कुछ दिखाई नहीं देता कि क्या किया जाए और क्या नहीं। यही कारण है कि केतु ग्रह के दोष के कारण अक्सर व्यक्ति भ्रम का शिकार होता है। जिसके कारण उसे तमाम परेशानियां झेलनी पड़ती है।उपायः केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सबसे पहले आप अपने बड़े-बुजुर्ग की सेवा करना प्रारंभ कर दें। साथ में केतु के इन मंत्रों का जप करें …
ॐ कें केतवे नम:।
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।”