दोनों शीर्ष नेताओं ने उत्तर कोरिया के अमरीका के साथ ठप पड़े परमाणु वार्ता को फिर से एजेंडे में शामिल करने को लेकर बातचीत की।
चीन और उत्तर कोरिया के अलग-अलग कारणों से अमरीका के साथ तनाव है। जहां व्यापार को लेकर चीन के साथ अमरीका के रिश्तों में खट्टास है, वहीं परमाणु हथियारों को लेकर उत्तर कोरिया के साथ संबंध अच्छे नहीं है। किम और शी ने इन्ही मुद्दों पर आपस में बातचीत की।
शी जिनपिंग का भव्य स्वागत
इससे पहले प्यांगयोंग एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीन की पहली महिला पेंग लियुआन का भव्य स्वागत किया गया। उत्तर कोरिया ने शी और उनकी पत्नी को 21 तोपों की सलामी दी।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शी का स्वागत करने के लिए लगभग 10,000 लोग फूल लहराते और नारे लगाते हुए खड़े थे। किम और उनकी पत्नी री सोल-जू ने दोनों मेहमानों को एयरपोर्ट पर स्वागत करते हुए बाकी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।
2005 के बाद से यह किसी चीनी राज्य प्रमुख की पहली उत्तर कोरिया यात्रा है। अब तक इन दोनों नेताओं के बीच चार बार मुलाकात हो चुकी है लेकिन हर बार ये नेता चीन में ही मिले हैं।
इस मुलाकात से उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के साथ-साथ आर्थिक मुद्दों पर रुकी हुई वार्ता दोबारा शुरू होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि उत्तर कोरिया के लिए चीन प्रमुख व्यापारिक साझेदार है।
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G20 सम्मेलन से पहले अहम मुलाकात
शी जिनपिंग की यह यात्रा जापान में G20 शिखर सम्मेलन ( G20 summit ) से एक सप्ताह पहले हुई है, जहां उनकी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( US President Donald Trump ) से मुलाकात की खूब चर्चा हो रही है। शी और किम के बीच हनोई में ट्रंप और किम की मुलाक़ात के बाद पहली बैठक है। बता दें कि हनोई में ट्रंप और किम के बीच बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हुआ था।
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शी जिनपिंग की यात्रा अभी क्यों?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिनों के दौरे पर उत्तर कोरिया पहुँच गए हैं। 2012 में सत्ता संभालने के बाद से शी की यह पहली और 14 वर्षों में किसी भी चीनी नेता की पहली उत्तर कोरिया की यात्रा है।
दोनों देशों के लिए शी की यह यात्रा बहुत ही अहम है। माना जा रहा है कि अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते तनाव के साथ हाल के समय में चीन और अमरीका के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के बीच शी की यह यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है।
बीते एक साल से उत्तर कोरिया अमरीकी प्रतिबंधों से बाहर निकलने के लिए कई तरह कूटनीतिक प्रयासों के जरिए संघर्ष कर रहा है। माना जा रहा है कि शी और किम हनोई में विफल हुए परमाणु समझौते को लेकर चर्चा कर सकते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि शी जिनपिंग यह जरूर जानना चाहेंगे कि हनोई की बैठक में किम और ट्रंप के बीच क्या हुआ और अब आगे बढ़ने के लिए क्या किया जा सकता है। क्योंकि जापान में होने वाले G20 सम्मेलन में शी और ट्रंप मिलने वाले हैं।
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क्या चाहता है चीन?
चीन की दृष्टि से देखें तो उत्तर कोरिया में एक व्यापक व्यापार की संभावना देख रहा है। लिहाजा चीन चाहता है कि उत्तर कोरिया में शांति और स्थिरता बने रहे।
चीन का मुख्य लक्ष्य है उत्तर कोरिया में स्थिरता कायम करते हुए आर्थिक सहयोग करते हुए चीनी व्यापार के विस्तार को बढ़ाना। चूंकि दोनों ही देश कम्यूनिस्ट के नेतृत्व वाले पुराने सहयोगी हैं। हालांकि बीते एक दशक में बीजिंग के साथ प्योंगयांग की परमाणु महत्वकांक्षाओं को लेकर तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
बीते साल (2018) जून में किम जोंग-उन और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी। इसके बाद से ट्रंप और किम के बीच बैठक सफल नहीं रहा है। ऐसे में चीन एक बड़ी भूमिका निभाने की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है।
चीनी मीडिया के मुताबिक चीन कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दे को राजनीतिक रूप से हल करने में सही दिशा बनाए रखने के लिए उत्तर कोरिया का समर्थन करता है।
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क्या चाहता है उत्तर कोरिया?
दरअसल, अमरीकी प्रतिबंधों के बाद से उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट आ गई है। इसके अलावे कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उत्तर कोरिया अपने पुराने सहयोगी चीन पर काफी निर्भर है।
उत्तर कोरिया अपने पुराने सहयोगी दोस्त को पास रखना चाहता है, भले ही उनमें विश्वास की कमी हो। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है इसलिए यह उस संबंध पर काफी निर्भर करता है। फिर भी यह एक समान भागीदारी नहीं है – उत्तर कोरिया को चीन की जरूरत है और चीन को उत्तर कोरिया की जरूरत है।
चीन के साथ आगे बढ़ते हुए उत्तर कोरिया अपनी अर्थव्यवस्था को गति देना चाहता है। चीन के पास उत्तर कोरिया को देने के लिए परमाणु हथियार और आर्थिक मदद दोनों हैं। ऐसे में उत्तर कोरिया को खुद परमाणु परीक्षण करने की जरूरत नहीं होगी।
कहीं अमरीका तो निशाना नहीं
चीन उत्तर कोरिया के प्रतिबंधों को कम कराने के लिए कुछ मदद की पेशकश कर सकता है। शी जिनपिंग की यह यात्रा अमरीका को यह दिखाने के लिए है कि उत्तर कोरिया अभी भी चीन का समर्थन करता है। बता दें कि अमरीका के हालिया संबंध रूस, उत्तर कोरिया और चीन के साथ बिलकुल अच्छे नहीं हैं । ऐसे मे अब इन तीनों देशों के नेता आपस में मिल रहे हैं । पहले किम जोंग रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने मास्को गए, उसके बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मास्को यात्रा सम्पन्न हुई। अब शी जिनपिंग उत्तर कोरिया के दौरे पर हैं ।
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