एशिया

सिंगापुर में भारतीय मूल के युवक को कल दी जानी थी फांसी की सजा, सुप्रीम कोर्ट ने ऐन वक्त पर लगा दी रोक, जानिए क्या है वजह

सिंगापुर में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल के मलेशियाई नागरिक नागेंद्रन के धर्मलिंगम की मौत की सजा पर अमल को निलंबित कर दिया है। यह रोक धर्मलिंगम की अपील पर सुनवाई तक जारी रहेगी। धर्मलिंगम मानसिक रूप से विकलांग हैं और उनकी सजा पर रोक के लिए पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपील की थी।
 

Nov 09, 2021 / 06:57 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
सिंगापुर में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल के नागेंद्रन के. धर्मलिंगम की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ता इस फांसी पर रोक की अपील कर रहे थे।

33 वर्षीय धर्मलिंगम को बुधवार को यानी कल फांसी दी जानी थी। उन पर सिंगापुर में 43 ग्राम से कम हेरोइन की तस्करी करने का आरोप साबित हुआ था। कोर्ट ने उनके वकील एम. रवि की अपील पर सुनवाई के बाद फांसी पर अस्थायी रोक लगा दी।
एम रवि ने दलील दी थी कि मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति को मौत की सजा देना सिंगापुर के संविधान का उल्लंघन है। फांसी खारिज करने की रवि की अपील तो कोर्ट ने ठुकरा दिया, लेकिन अपील कोर्ट में सुनवाई तक सजा पर अमल को टालने का आदेश दिया।
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एम रवि ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि अपील में सुनवाई तक यह रोक जारी रहेगी। सुनवाई मंगलवार को होनी है। अगर वहां भी रवि की अपील नाकाम रहती है तो सर्वोच्च न्यायालय की लगाई रोक खत्म हो जाएगी और नागेंद्रन को फांसी दे दी जाएगी।
बता दें कि धर्मलिंगम का मामला एक दशक से भी पुराना है जब उन्हें नारकोटिक्स अधिकारियों ने एक जांच नाके पर नशीली दवा हेरोइन के साथ पकड़ा था। उनकी जांघ पर पुड़िया में 43 ग्राम से कम हेरोइन की पुड़िया बांधकर छिपाई गई थी। इस मामले में उन पर आरोप साबित हुए और देश के ड्रग्स विरोधी कड़े कानूनों के तहत नवंबर 2010 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। तब से वह अलग-अलग अदालतों में अपील कर इस सजा के खिलाफ लड़ रहे थे। उन्होंने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की भी अपील की लेकिन नाकाम रहे।
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आखिर में पिछले साल उन्होंने राष्ट्राध्यक्ष से माफी की याचिका की, जो खारिज कर दी गई। मौत की सजा के विरोधी कहते हैं कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया कि धर्मलिंगम का आईक्यू 69 है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों के हिसाब से मानसिक विकलांग माना जाता है।
हालांकि, कोर्ट ने फैसला दिया कि धर्मलिंगम को पता था वह क्या कर रहे हैं। इस आधार पर मौत की सजा बरकरार रखी गई। कोर्ट ने कहा कि धर्मलिंगम ने मिलने वाले इनाम के लालच में यह काम किया, इसलिए वह समाज के लिए एक खतरा है। धर्मिलिंगम का परिवार मलेशिया के इपोह में रहता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता कर्स्टन हान ने सिंगापुर आने में इस परिवार की मदद की है।
उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि पिछले हफ्ते ही धर्मलिंगम की मां, दो भाई-बहनों और एक चचेरे भाई को जेल में उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी। हान कहती हैं, असल बात जो मैंने धर्मलिंगम के छोटे भाई से सुनी कि वह अपना संतुलन खो चुका है। वह आंखें नहीं मिलाता और अक्सर अपनी सुध बुध खो बैठता है। उसके भाई को तो यह भी संदेह है कि उसे अपनी फांसी के बारे में कोई समझ है या नहीं।

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