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Nepal: सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के फैसले पर सरकार से मांगा जवाब, भेजा कारण बताओ नोटिस

HIGHLIGHTS

सुप्रीम कोर्ट ( Nepal Supreme Court ) ने संसद भंग करने के फैसले को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि संसद को अचानक भंग करने के निर्णय पर एक लिखित स्पष्टीकरण दें।
दायर याचिकाओं में प्रधानमंत्री कार्यालय, मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति कार्यालय को प्रतिवादी बनाया गया है, लिहाजा सभी से लिखित में जवाब देने को कहा गया है।

Dec 25, 2020 / 10:27 pm

Anil Kumar

Nepal: Supreme Court Issue Show Cause Notice To Government On Decision To Dissolve Parliament

काठमांडू। नेपाल में बीते कई महीनों से चले आ रहे सियासी घमासान ( Nepal Politics ) के बीच राष्ट्रपति ने संसद भंग करने की घोषणा की, जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ( Nepal Supreme Court ) ने सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के फैसले को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि संसद को अचानक भंग करने के निर्णय पर एक लिखित स्पष्टीकरण दें। अब इस मामले पर 15 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संसद भंग ( Dissolve Parliament ) करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ ने सुनवाई की और नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई में सरकार को जवाब पेश करने को कहा है। चूंकि दायर याचिकाओं में प्रधानमंत्री कार्यालय, मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति कार्यालय को प्रतिवादी बनाया गया है, लिहाजा सभी से लिखित में जवाब देने को कहा गया है।

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कोर्ट ने संसद को भंग करने के लिए सरकार की सिफारिशों की एक मूल प्रति और राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी की ओर से सरकार की सिफारिशों को प्रमाणित करने के लिए किए गए निर्णय को प्रस्तुत करने के लिए सरकार से कहा है। बता दें कि इस पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में जस्टिस बिशंभर प्रसाद श्रेष्ठ, तेज बहादुर केसी, अनिल कुमार सिन्हा और हरि कृष्ण कार्की शामिल हैं।

गौरतलब है कि रविवार को राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अनुशंसा पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था और मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी थी।

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सुप्रीम कोर्ट में 13 रिट याचिकाएं दर्ज

आपको बता दें कि संसद भंग किए जाने के लेकर सुप्रीम कोर्ट में 13 रिट याचिकाएं दायर की गई,ज जिसे बुधवार को चीफ जस्टिस राणा की एकल पीठ ने संवैधानिक पीठ को भेज दिया। सुनवाई के दौरान बुधवार को वकीलों ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि पीएम ओली को तब तक सदन भंग करने का अधिकार नहीं है, जब तक कोई वैकल्पिक सरकार बनाने की संभावना नहीं है। इन सबके बीच पीएम ओली ने शुक्रवार की शाम को कैबिनेट की बैठक बुलाई है।

माधव कुमार नेपाल बने पार्टी अध्यक्ष

बता दें कि सियासी घमासान के बीच माधव कुमार नेपाल अघोषित रूप से दो फाड़ हो चुकी सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नए अध्यक्ष बन गए हैं। प्रधानमंत्री ओली की जगह नेपाल को अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यदि पीएम ओली अपनी गलती को स्वीकार कर माफी मांगते है तो पार्टी में उनका स्वागत किया जाएगा।

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दूसरी तरफ प्रचंड-नेपाल गुट ने पीएम ओली को संसदीय दल के नेता के पद से भी हटा दिया है और उनकी जगह पार्टी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को नया संसदीय दल का नेता घोषित किया है।

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