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टाइम मैग्जीन ने बरादर को भी 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में किया शामिल

मैग्जीन ने बरादर को नेताओं की श्रेणी में सबसे प्रभावशाली के तौर पर सूची में शामिल किया है। इसमें तालिबान नेता के बारे में लिखा गया है कि अगस्त में जब तालिबान ने अफगानिस्तान में जीत हासिल की, तो यह बरादर की ओर से बातचीत में रखी गई शर्तों पर आधारित थी।
 

Sep 16, 2021 / 10:14 am

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
वर्ष 2021 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में टाइम मैगजीन ने चरमपंथी समूह तालिबान के सह संस्थापक और अफगानिस्तान के मौजूदा उप प्रधानमंत्री मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर को भी शामिल किया है। टाइम मैग्जीन ने अपनी सूची में बरादर को करिश्माई सैन्य नेता और उदारवादी चेहरे का प्रतिनिधित्व करने वाला बताया गया है।
नेताओं की इस वैश्विक सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला, अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन, अमरीका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पूर्व अमरीकी राष्ट्रति डॉनल्ड ट्रंप समेत कई बड़ी शख्सियतों का नाम शामिल है।
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टाइम मैग्जीन ने बरादर को नेताओं की श्रेणी में सबसे प्रभावशाली के तौर पर सूची में शामिल किया है। इसमें तालिबान नेता के बारे में लिखा गया है कि अगस्त में जब तालिबान ने अफगानिस्तान में जीत हासिल की, तो यह तालिबान के सह संस्थापक मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर की ओर से बातचीत में रखी गई शर्तों पर आधारित थी।
मैग्जनीन में बरादर की तारीफ में लिखा गया है कि अफगानिस्तान में जीत हासिल करने और सरकार गठन में वह सभी प्रमुख फैसले ले रहा था। इसमें पूर्ववर्ती सरकार के सदस्यों को दी जाने वाली माफी, तालिबान के काबुल में प्रवेश करने पर हिंसा नहीं करना और पड़ोसी देशों, खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ संपर्क करना आदि शामिल थे।
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बरादर के बारे में मैग्जीन ने लिखा है कि अब वह अफगानिस्तान के भविष्य के लिए एक आधार के तौर पर खड़ा है। अंतरिम तालिबान सरकार में उसे उप प्रधानमंत्री बनाया गया है, जबकि शीर्ष भूमिका एक अन्य नेता को दी गई है। यह तालिबानी कमांडरों और युवाओं तथा कट्टरपंथियों को ज्यादा स्वीकार है।
बता दें कि मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है, जिसने 1994 में तालिबान का गठन किया था। वर्ष 2001 में जब अमरीकी नेतृत्व में अफगानिस्तान में सेना ने कार्रवाई शुरू की थी, तब मुल्लाह के नेतृत्व में विद्रोह की खबरें सामने आने लगी थीं। अमरीकी सेनाएं उसे अफगानिस्तान में खोज रही थीं, जबकि वह पाकिस्तान भाग गया था।

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