कश्मीर में घुसे पांच आतंकी, पीएम मोदी के दौरे पर दहशतगर्दी का साया समलैंगिक संबंधों के आरोप इब्राहिम पर 2008 में अपने एक पुरुष सहयोगी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध संबंध बनाने का दोषी पाया गया था।इसके बाद मामला हाई कोर्ट में चला गया लेकिन 2012 में उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। हाई कोर्ट से उनके बरी होने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया। इब्राहिम के वकीलों ने आरोप लगाया हैं कि राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाया गया हैं। बता दें कि अनवर इब्राहिम पर पहले भी ऐसे आरोप लगते रही हैं। उन पर साल 2000 में भी ऐसा ही आरोप लगा था लेकिन तब भी अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था।
चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, सत्तर वर्षीय अनवर सजा माफ होने के बाद सबसे पहले सुल्तान से मिलने के लिए उनके शाही महल की ओर रवाना हो गए। इस समय अनवर इब्राहिम चेरास रिहैबिलिटेशन हॉस्पिटल में अपने कंधे का इलाज करवा रहे थे।
गुलाम नबी आजाद की धमकी, कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो कर्नाटक की सड़कों पर बहेगा खून राजनीतिक बदला इब्राहिम के समर्थकों का आरोप हैं कि उन्हें राजनीतिक मतभेदों के चलते जेल में डाला गया था। इब्राहिम को अप्राकृतिक यौनाचार और भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें जेल में डाल दिया गया था। बता दें कि अनवर इब्राहिम के एक पूर्व सहयोगी मोहम्मद सैफुल बुखारी अजलान ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि अनवर ने उनके साथ दुराचार किया था।उधर मलेशिया के नव निर्वाचित पीएम महाथिर मोहम्मद ने अनवर इब्राहिम को दो साल के भीतर प्रधानमंत्री बनाने का वादा किया हैं। उन्होंने कहा कि वह इब्राहिम के लिए पद छोड़ देंगे।