एजेंसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि छह महीने पहले ही देश के दूसरे सबसे बड़े शहर सुरबाया में कई चर्चों में रविवार की प्रार्थना के दौरान आत्मघाती बम हमले हुए थे। इनमें एक दर्जन लोगों को जान गवानी पड़ी थी। रिपोर्ट के अनुसार- वे लगभग एक दशक में हुए सबसे भयावह आतंकी हमले थे और दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश में उस घटना ने धार्मिक असहिष्णुता को उजागर किया था।
एक मीडिया रिपोर्ट में इंडोनेशिया स्टेट इंटेलीजेंस एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि उसने जुलाई से इस दक्षिण पूर्व एशियाई द्वीप समूह की करीब एक हजार मस्जिदों में पड़ताल की और पता चला कि जकार्ता के पास करीब 41 मस्जिदों के इमाम नमाजियों को कट्टरता का पाठ पढ़ाने में लगे हुए हैं। इन लोगों में अधिकतर सरकारी सेवक थे, जो पास के सरकारी मंत्रालयों में काम करते हैं।
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार- करीब 17 मौलानाओं ने इस्लामिक स्टेट के लिए समर्थन या सहानुभूति जताई। यही नहीं इन्होंने और लोगों को सीरिया तथा मरावी में जिहादी समूह के लिए संघर्ष करने के लिए उकसाया। एजेंसी के प्रवक्ता वावन पुरवंतो के अनुसार- ‘इन मस्जिदों में जाने वाले अधिकतर लोग सरकारी कर्मचारी हैं, इसलिए यह बात अधिक चिंताजनक है।