अजीत डोभाल के साथ बातचीत के बाद चीन के तेवर ढीले पड़ गए और चीनी सैनिक LAC से पीछे हटने को तैयार हो गया। विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ( National Security Advisor Ajit Doval ) और चीनी विदेश मंत्री वांग ने सीमावर्ती क्षेत्रों में हालिया घटनाक्रमों पर बातचीत की है। दोनों ने एक-दूसरे के साथ व्यापाक तौर पर विचारों का आदान-प्रदान किया है।
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मंत्रालय ने यह भी बताय है कि ‘डोभाल और वांग इस बात पर सहमत हुए कि द्विपक्षीय संबंधों ( Bilateral relations ) में विकास के लिए शांति और स्थिरता की बहाली आवश्यक है। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) से सैनिकों का पूरी तरह पीछे हटना सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके अलावा इस पर भी बात हुई कि कोई पक्ष इकतरफा यथास्थिति न बदलें।
बता दें कि डोभाल और वांग यी के बीच बातचीत के बाद सोमवार को चीनी सेना गलवान घाटी ( Galwan Valley ) से पीछे हटते हुए दिखाई दिए। चीनी सेना गलवान घाटी के कुछ हिस्सों से तंबू हटाते हुए वहां से पीछे हटती दिख रही है। LAC पर तनाव के बीच सैनिकों के पीछे हटने का यह पहला संकेत है।
आगे भी जारी रहेगी बातचीत
भारत और चीन के दोनों प्रतिनिधियों ने बातचीत के दौरान सैन्य अधिकारियों के बीच तय मैकनिजम के तहत बातचीत जारी रखने पर भी सहमति जताई। इस बात पर भी सहमति जताई गई कि सीमा पर शांति स्थापित होने तक दोनों विशेष प्रतिनिधि बातचीत आगे भी जारी रखेंगे।
भारत की सख्ती के आगे नरम पड़ा चीन
आपको बता दें कि सीमा पर उपजे तनाव के बाद भारत ने चीन के खिलाफ एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू किए। इसके कारण चीन के आक्रामक रुख में अब नरमी दिखने लगी है। भारत ने चीन को सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चो पर जबरदस्त मात दी है। पहले भारत ने 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगाया और उसके बाद देशभर में कई राज्य सरकारों ने चीनी कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया। तो केंद्र सरकार के कई विभागों ने भी चीन कंपनियों को दिए कई ठेके रद्द कर दिए। इससे चीन को हजारों करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
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इसके अलावा भारत ने लद्दाख सीमा पर सैन्य तैयारियां करते हुए भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है, तो कई आधुनिक हथियारों को भी तैनातद किया है। साथ ही साथ अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश ने भी भारत को अपने समर्थन का भरोसा दे चुके हैं। ऐसे में चीन अपनी मुश्किलें देख सीमा से वापस जोने को तैयार हो गया है।