एशिया

जापान: ट्रांसजेंडर को शादी से पहले तय करना पड़ता है अपना जेंडर, कठिन सर्जरी से गुजरकर मिलता है हक

जापान में ट्रांसजेंडर जैसे शब्द की कोई जगह नहीं
कठिन हार्मोनल सर्जिरी से गुजरना पड़ता है
मानसिक गतिविधियों की जांच के बाद ही मिलती है शादी की अनुमति

Apr 19, 2019 / 08:50 am

Mohit Saxena

जापान: ट्रांसजेंडर को शादी से पहले तय करना पड़ता है अपना जेंडर, कठिन सर्जरी गुजकर मिलता है हक

टोक्यो। जापान में एक ट्रांसजेंडर के लिए शादी करना सबसे कठिन माना जाता है। यहां के कानून इतने कड़े हैं कि समाज में ट्रांसजेंडर जैसे शब्द की कोई जगह नहीं है। ताकक्यूटो सूई बताते है कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं। उन्हें शादी के लिए पहले हार्मोनल सर्जरी के सहारे अपना जेंडर तय करना होगा। इसके बाद उनके मानसिक स्तर को भी जांचा जाएग। जेंडर तय करने के बाद ही वह शांदी के बंधन में बंध पाएंगे।वह पिछले पांच साल से अपने पार्टनर और सौतले बेट के साथ हैं । अब वह शादी करना चाहते हैं। पुरुष बनने के लिए वह कठिन सर्जिल प्रक्रिया गुजर रहे हैं। इसी तरह के जापान के ओकायामा प्रान्त के रहने वाले 45 वर्षीय किसान का कहना है कि वह तब तक शादी नहीं कर सकता, जब तक वह अपना जेंडर सही न कर ले। अभी वह ट्रांसजेंडर है और उसी में खुश है। उसका कहना है अब मुझे एक आदमी बनने की जरूरत नहीं है। उन्हें शादी के लिए शायद यह देश छोड़कर जाना पड़ेगा। जापान में ट्रांसजेंडर को एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है। यहां पर इनके लिए कोई तय अधिकार नहीं हैं। इन्हें समाज में हक पाने के लिए किसी एक जेंडर यानि महिला और पुरुष में होना अनिवार्य है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी निंदा की

इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने भी निंदा की है। लिंंग को अनिवार्य रूप से बदलने की शर्त की आलोचना की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल मानसिक रोगों के रूप में ट्रांस लोगों को वर्गीकृत करना बंद कर दिया था, जो कि कलंक को समाप्त करने में एक बड़ी सफलता के रूप में कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए बदलाव में था। ट्रांसजेंडर ताकक्यूटो सूई ने 2014 में एक क्लिनिक में अपना हार्मोनल उपचार कराना शुरू दिया है। इस दौरान उनकी तबीयत भी बिगड़ी। इसे लेकर उनके आसपास रहने वाले लोगों ने काफी सहयोग दिया। मगर सरकार का रवैया इस मामले में कठोर बना रहा। उनका कहना कि जापान में यह सिस्टम बदलना होगा ताकि ट्रांसजेंडर लोगों को वही अधिकार मिलें जो अन्य लोगों को हैं। उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री के कार्यालय में ईमेल भेजा, मगर इसका कोई जवाब नहीं आया।
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ट्रांसजेंडर होना काफी हद तक वर्जित है

लिंगायत विशेषज्ञों ने कहा कि जापान के एलजीबीटी का कानून 1880 के बाद से समलैंगिक यौन संबंधों को लेकर कई एशियाई देशों की तुलना में अपेक्षाकृत उदार है। लेकिन खुले तौर पर समलैंगिक या ट्रांसजेंडर होना काफी हद तक वर्जित है। इसलिए यहां पर इनकी संख्या को लेकर कोई विश्वसनीय आंकड़ नहीं है। टोक्यो की ह्यूमन राइट्स वॉच की डायरेक्टर काने डोई ने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों को समाज में स्वीकार किया जाना बहुत मुश्किल है। यहां एलजीबीटी में लोगों को भेदभाव या उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई व्यवस्था या कानून भी नहीं है। जापानी लोगों के लिए यह जानना बहुत मुश्किल है कि वे ट्रांस लोगों के साथ रह रहे हैं क्योंकि वे भूमिगत हैं।
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