‘ईस्ट जकार्ता डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के तीन जजों के एक पैनल के अनुसार शिहाब ने अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के संबंध में झूठ बोला था। इससे उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करने में परेशानी देखने को मिली। शिहाब बीते वर्ष 13 दिसंबर से हिरासत में हैं। जजों के पैनल के अनुसार वे जितना समय जेल में बिता चुके हैं, इस दौरान उनकी सजा को कम कर दिया जाएगा।
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पुलिस बल और सेना के जवान तैनात किए
अदालत के बाहर फैसला सुनाने से पहले भारी पुलिस बल और सेना के जवानों को तैनात किया गया। शिहाब की रिहाई की मांग को लेकर उनके हजारों समर्थकों ने रैली निकालने की कोशिश करी। इस कारण अधिकारियों के कोर्ट आने वाले मार्ग को बंद करना पड़ गया। पुलिस ने उनके समर्थकों को हटाने को लेकर आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें भी डालीं।
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कई आपराधिक मामले चल रहे
गौरतलब है कि बीते साल नवंबर में सऊदी अरब में तीन साल के निर्वासन से लौटने के बाद से शिहाब पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। कोर्ट ने बेटी की शादी और धार्मिक संगोष्ठियों में लोगों को एकत्र कर महामारी के दौरान स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों के उल्लंघन को लेकर 27 मई को उन्हें आठ माह की सजा सुनाई थी। अस्पताल में उनका कोरोना का इलाज चला था। इस दौरान अस्पताल अधिकारियों ने स्वास्थ्य से जुड़ी उनकी जानकारियों को छिपाकर रखा।