सिंगापुर: भारतीय मूल के निजी बैंकर को 13 साल की सजा, जालसाजी का आरोप
सिंगापुर।सिंगापुर में एक भारतीय मूल के निजी बैंकर को जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में गुरुवार को 13 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। करीब 20 जालसाजी के आरोपों को उसने स्वीकार किया है। इसके अलावा 30 अन्य मामलों में उसे कंप्यूटर दुरुपयोग अधिनियम के तहत सजा दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केल जगदीश पुरुषोत्तम ने जून 2010 से जनवरी 2013 के बीच बार्कलेज बैंक के ग्राहकों के खातों से एक करोड़ डॉलर का गबन किया।
कुलभूषण जाधव मामले 17 जुलाई को आएगा फैसला, आईसीजे में सुनवाई पूरीमौजूदा ग्राहकों के नकली हस्ताक्षर उसे सजा सुनाते हुए इसी तरह के अन्य 503 आरोपों पर भी गौर किया गया। पुरुषोत्तम ने पुराने ग्राहकों को पैसे अदा करने के लिए अपने मौजूदा ग्राहकों के नकली हस्ताक्षर कर एक करोड़ डॉलर का गबन किया। इस दौरान उसने अनाधिकृत लेनदेन किए।
स्वतंत्रता दिवस पर ट्रंप का भाषण: सेना की तारीफ, विरोधियों पर साधा निशानाअनाधिकृत विदेशी मुद्रा लेनदेन किया गौरतलब है कि फरवरी 2010 में ब्रिटिश बैंक में नौकरी शुरू करने से पहले, पुरुषोत्तम यूबीएस सिंगापुर में काम करता था। जहां वह रेड ओक नामक कंपनी का प्रबंधक था। उसपर आरोप है था कि बैंक खाते में मौजूद पैसों का दुरुपयोग कर उसने अनाधिकृत विदेशी मुद्रा लेनदेन किया। उप लोक अभियोजक जीन टिंग ने बताया कि पुरुषोत्तम ने कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए पैसा चुका देने की बात कही। उसने रेड ओक को 1.4 करोड़ डॉलर देने की बात भी स्वीकार की।
रेड ओक को पुरुषोत्तम ने बार्कलेज बैंक के ग्राहकों के खातों से पैसे दिए। टिंग ने कोर्ट को बताया कि उसने इस तरह के लगभग 81 अनधिकृत लेनदेन किए। कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार,रेड ओक के साथ हुए समझौते के बाद बार्कलेज को 4 करोड़ मिले। पुरुषोत्तम ने बैंक को 4 लाख अमेरिकी डॉलर अलग से भी चुकाए।