चीन की धोखेबाजी से सावधान, पेट्रोलिंग 14 चौकी से अब तक नहीं उखाड़े टेंट! इस संबंध में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ( Global Times ) में एक लेख छपा है। इसमें ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने लिखा कि सेना में मरने वालों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। समाज को इसके लिए बाद में सही वक्त आने पर जानकारी दी जाएगी, जिससे जांबाजों का सम्मान हो सके और उन्हें याद रखा जाए। वे इसके हकदार हैं।
गौरतलब है कि ग्लोबल टाइम्स में यह लेख एक वीडियो के सोशल मीडिया पर ऑनलाइन आने के दो दिन बाद लिखा गया है। इस वीडियो में लद्दाख एलएसी ( tension on Ladakh border ) पर मारे गए पीएलए के सैनिकों के परिजनों का आक्रोश स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
इस दौरान परिजन मारे गए चीनी सैनिकों को भारत के शहीदों की ही तरह सम्मान दिए जाने की मांग करते नजर आ रहे थे। इस लेख में उन्होंने कहा कि भारत ( Indian army ) में शहीदों का बहुत सम्मान किया जाता है। हालांकि चीन में शहीदों को ना तो कोई सम्मान दिया जाता है और ना ही कोई पहचान दी जाती है।
2100 चीनी फाइटर के मुकाबले भारत के पास 850 लड़ाकू विमान, फिर भी Air War में IAF है मजबूत इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स ने इस बात को स्वीकार भी किया है कि एलएसी पर हुई हिंसक झड़प में चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि इसमें मारे गए सैनिकों की तादाद 20 से कम होने का दावा किया गया है। इस बीच चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ( Chinese government ) अभी तक इस गंभीर मामले पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। इसके अलावा चीन लोगों को यह भी नहीं बता रहा है कि एलएसी पर उसके कितने सैनिक मारे गए।
लेख में हू शिजिन ने आगे लिखा कि अभी तक चीन की सेना ( पीएलएए ) ने एलएसी पर मारे गए सैनिकों के बारे में कोई सूचना भी नहीं दी है। मैं समझ सकता हूं कि यह ऐसे मुश्किल वक्त में एक जरूरी कदम है और संभवता इसका उद्देश्य दोनों देशों की जनताओं की भावनाओं को भड़कने नहीं देना है। इसके साथ ही शिजिन ने हिंसक झड़प में चीन के 40 सैनिकों के मारे जाने संबंधी दावों को भी खारिज किया।