वहीं, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से देशभर में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। विदेशी नागरिक, अफगानिस्तान के कर्मचारी और वहां के लोग देश से भागने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर जमा हैं, मगर कमर्शियल फ्लाइट्स बंद होने से उनका निकलना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा। वहीं, सुयंक्त राष्ट्र ने सभी देशों को एडवाइजरी करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को पनाह दी जाए।
सिर्फ 22 दिन में किसी आतंकी संगठन द्वारा एक देश पर कब्जा कर लेने से सभी हैरान हैं। वहां की सेना और लीडरशिप पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि तालिबान के पास इतना पैसा कहां से आ रहा है। उसे हथियार और दूसरे संसाधन कौन मुहैया करा रहा है।
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दरअसल, तालिबान के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। यह आतंकी संगठन प्रतिवर्ष डेढ़ बिलियन डॉलर से भी ज्यादा की कमाई करता है। कमाई का जरिया अवैध होता है, जिसमें तस्करी, अपहरण, ड्रग्स, जबरन वसूली और बड़े पैमाने पर अफीम की खेती शामिल है। अब तक सामने आए ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो स्पष्ट है कि तालिबान ने वर्ष 2019-20 में 1.6 बिलियन डॉलर की कमाई की थी।
तालिबान को सबसे अधिक कमाई अफीम के कारोबार से होती है। दुनियाभर में कुल पैदावार का अफगानिस्तान करीब 80 प्रतिशत अफीम की खेती करता है। वहीं, जबरन वसूली, अपहरण, खनन और तस्करी से भी उसे मोटी कमाई होती है। दावा किया जाता है कि रूस, पाकिस्तान, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया उसे हथियार, गाडियां तथा दूसरे संसाधन मुहैया कराते हैं।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान प्रतिवर्ष सिर्फ ड्रग्स से 416 मिलियन डॉलर की कमाई करता है। वहीं, वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के बीच भी खनन से उसे 464 मिलियन डॉलर की कमाई हुई थी। जबरन वसूली से यह आतंकी संगठन 160 मिलियन डॉलर, चंदे से 240 मिलियन डॉलर और रियल एस्टेट से हर साल करीब 80 मिलियन डॉलर तक उसकी कमाई होती है। इसके अलावा नशीली दवाओं के व्यापार, हथियारों की तस्करी से उसे हर साल अच्छी कमाई होती है। रूस, पाकिस्तान, चीन, ईरान और कुछ अरब देश भी उसे हर साल मोटा पैसा देते हैं, जिससे वह अफगानिस्तान में अस्थिरता ला सके।
यही नहीं, मोटी कमाई के साथ-साथ इस आतंकी संगठन के पास बड़ी संख्या में लड़ाके भी हैं। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस यानी सीएफआर की रिपोर्ट पर गौर करें तो स्पष्ट है कि तालिबान के पास करीब 85 हजार लड़ाकों की फौज हैं। बीते 20 वर्षों की तुलना यह आतंकी संगठन किसी अन्य संगठन से अधिक मजबूत हुआ है।