अब्दुल गयूम ने खुद को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। गयूम को देश के वर्तमान राष्ट्रपति यामीन की सरकार को गिराने के प्रयास के जुर्म में इस साल फरवरी में गिरफ्तार कर लिया गया था। वह 9 महीने की कैद की सजा काट रहे थे। उन पर देश में आतंकवाद और अस्थिरता के आरोप भी लगाए गए हैं। इन मामलों में भी उनके खिलाफ सुनवाई चल रही है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने चुनाव जीतने के बाद गयूम समेत सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की अपील की थी। बता दें कि सोलिह ने 23 सितंबर के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है।
अब्दुल गयूम सबसे लंबे समय तक मालदीव पर राज करने वाले राष्ट्रपति थे। लेकिन वह मालदीव में एक दलीय सत्ता का दौर था। 2008 में देश के पहले बहुदलीय चुनाव में हारने के बाद सत्ता से हट तो गए लेकिन देश की राजनीती में सक्रिय भूमिका निभाते रहे।उन्होंने 2013 के चुनाव में अपने सौतेले भाई यामीन को जीतने में मदद भी की थी लेकिन बाद में दोनों के रिश्ते काफी खराब हो गए और उन्हें कई आरोपों में जेल में डाल दिया गया। हालंकि यामीन ने अपनी हार के बाद 5 राजनीतिक बंदियों को रिहा किया था, लेकिन गयूम की रिहाई नहीं हो सकी थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि यामीन अपने भाई की रिहाई में इसलिए देरी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर था कि गयूम पीपीएम पार्टी के नेतृत्व का दावा कर सकते थे।