इरशाद ने 24 अप्रैल 1982 को तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुस सत्तार की सरकार का तख्तापलट कर चीफ मार्शल के रूप में सत्ता हथिया ली और तीन दिन बाद उन्होंने न्यायमूर्ति अबुल फजल मोहम्मद अहसानुद्दीन चौधरी को राष्ट्रपति नियुक्त कर दिया।
इसके बाद 1983 में वे स्वयं देश के राष्ट्रपति बने। राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन के बाद उन्हें छह दिसंबर 1990 को पद छोड़ना पड़ा। उन्हें 1991 में गिरफ्तार किया गया और जनवरी 1997 में जमानत पर रिहा कर दिया गया। इरशाद पर भ्रष्टाचार समेत 26 मामले दर्ज थे। बांग्लादेश की राजनीति, विशेषकर गठबंधन की सरकारें बनाने में इरशाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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