सुनवाई जारी रखने की अनुमति
दरअसल उच्च न्यायालय ने खालिदा के गैरमौजूदगी में भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई जारी रखने की अनुमति दी थी, जिसे चुनौती देने लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब शीर्ष अदालत ने अदालत के पिछले फैसले को बहाल करते हुए अपील याचिका को खारिज कर दिया।
अटॉर्नी जनरल के प्रवक्ता का बयान
इस संबंध में अटॉर्नी जनरल के प्रवक्ता ने बयान दिया, ‘मुख्य न्यायाधीश सैयद महमूद हुसैन के अपीलीय डिवीजन (सुप्रीम कोर्ट के) ने अदालत के मुकदमे की सुनवाई के साथ आगे बढ़ने का रास्ता साफ कर दिया’। बता दें कि अदालत ने 20 सितंबर को ये निर्णय लिया था कि खालिदा की अनुपस्थिति में पुराने ढाका केंद्रीय जेल के अंदर मुकदमा जारी रखा जाए।
आठ साल पहले लगा था आरोप
बता दें कि आठ साल पहले विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष पर एंटी करप्शन कमिशन (एसीसी) ने केस दर्ज किया था। खालिदा के अलावा तीन अन्य के ऊपर जिया चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में 31.54 मिलियन टका (3,97,435 डॉलर) की धांधली का आरोप लगाया गया था। इस मामले का ट्रायल साल 2010 में ओल्डा ढाका जेल हाउस के कोर्ट में शुरू हुआ। लेकिन खालिदा जिया ने बीमारी का कारण देते हुए कोर्ट से गैरहाजिर रहीं और उनकी गैर-मौजूदगी में ही इस केस का ट्रायल चलाना पड़ा।
पहले सुनाई गई है पांच साल की सजा
जिया पर इससे पहले भी अनाथालय ट्रस्ट मामले में 8 फरवरी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में खालिदा जिया और उनके बड़े बेटे तारिक रहमान समेत पांच अन्य पर 20 मिलियन टका (2,53,164 डॉलर) के गबन का आरोप था। ये मामला 2001 से 2006 के बीच का है, जब खालिदा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थी।
खालिदा जिया के बेटे को भी उम्रकैद की सजा
बता देें कि अभी इसी महीने खालिदा जिया के बेटे को 2004 के ग्रेनेड हमले मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने इस मामले में पूर्व प्रधानम़ंत्री के बेटे समेत 19 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसी केस में 19 अन्य आरोपियों को मौत की सजा हुई है। बता दें कि इस हमले में 24 लोगों की मौत हुई थी। 14 साल पहले हुए इस हमले में 500 लोग घायल हुए थे। घायलों में उस समय की प्रमुख विपक्षी पार्टी की प्रमुख शेख हसीना भी शामिल थीं। हमला 21 अगस्त 2004 को बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री हसीना पर निशाना साधते हुए किया गया था। अवामी लीग की एक रैली पर हुए हमले में शेख हसीना बच तो गईं, लेकिन उनकी सुनने की क्षमता जाती रही।