दरअसल, FATF यानी पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए वह कड़ी कोशिश कर रहा था। मगर पाकिस्तान 40 मानकों में से 32 में फेल पाया गया है। इसके साथ 11 मानकों में भी उसने कम स्कोर हासिल किया है।
अलग-अलग आधारों पर मूल्यांकन पाकिस्तान के डॉन न्यूज के अनुसार तीन अलग-अलग आधारों पर पाकिस्तान का मूल्यांकन किया जा रहा था।रिपोर्ट के अनुसार FATF की क्षेत्रीय संबद्ध इकाई एशिया-प्रशांत समूह (APG) भी मूल्यांकन कर रहा था। यह समूह आर्थिक तथा बीमा सेक्टरों के सभी क्षेत्रों में अपने तंत्रों को उन्नत करने के लिए वर्तमान में केनबरा (ऑस्ट्रेलिया) में पांच-वर्ष से मूल्यांकन कर रहा था।
2018 में डाला गया था ग्रे सूची में पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को निराशा हाथ लगी थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा।
क्या है एफएटीएफ? एफएटीएफ एक अंतर्राज्यीय निकाय है, जो धन शोधन तथा आतंकवाद पर फंडिंग को लेकर मानक निर्धरित करता है। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी। ये संस्था पेरिस से संचालित होती है।
पाकिस्तान को होगा नुकसान ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस लिस्ट में जो भी आता है,उसे कर्ज देने में बड़ा जोखिम माना जाता है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है।