हालांकि अस्थाई राहत मिलने के बाद भी 73 वर्षीय खालिदा जिया जेल से बाहर नहीं आ सकती हैं। खालिदा को अन्य दो मामलों में दोषी ठहराया गया है। बता दें कि खालिदा जिया तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं।
बांग्लादेश: जिंदगी और मौत से जूझ रहीं खालिदा जिया, पार्टी ने की रिहाई की मांग
मानहानि केस में फंसी हैं खालिदा जिया
मंगलवार को हाईकोर्ट के दो सदस्यीय बेंच ने मानहानि के दो मामले की सुनवाई की। जस्टिस मोहम्मद अब्दुल हबीब और जस्टिस अहमद सोहेल की बेंच ने ज़िया के वकीलों द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दो अलग-अलग मानहानि के मुकदमों में 6 महीने की जमानत दी।
2014 और 2016 में जिया के खिलाफ मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ( Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman ) पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में दो मामले दर्ज किए गए थे।
सत्तारूढ़ अवामी लीग के एक प्रमुख संगठन, बांग्लादेश जननीति परिषद के अध्यक्ष एबी सिद्दीकी ने मामले दर्ज किए।
एबी सिद्दीकी ने 21 अक्टूबर 2014 को एक मामला दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया कि उसी वर्ष ढाका के एक कार्यक्रम में जिया ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ( अवामी लीग ) ने धर्मनिरपेक्षता को शर्मसार करने के अलावा और कुछ नहीं किया। उनकी टिप्पणी से मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।
दूसरे मानहानि मामले में उन्होंने दावा किया कि इंजीनियर्स इंस्टीट्यूशन के एक कार्यक्रम में जिया ने कहा ‘ शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश की स्वतंत्रता नहीं चाहते थे, बल्कि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनना चाहते थे’।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में 7 साल की सजा
20 मार्च को जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
खालिदा जिया के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 20 मार्च को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके बाद बीएनपी की चेयरपर्सन ने उन मामलों में जमानत की मांग करते हुए 22 मई को हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं थी।
मालूम हो कि ज़िया अनाथालय ट्रस्ट के नाम पर किए गए विदेशी चंदे में 21 मिलियन टका (लगभग USD 250,000) के गबन के भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार दी गई हैं। इस मामले में ज़िया को पिछले साल फरवरी में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ज़िया ने अनाथालय ट्रस्ट का नाम अपने दिवंगत पति और एक सैन्य शासक व राजनीतिज्ञ जियाउर्रहमान के नाम पर रखी थी।
उच्च न्यायालय ने बाद में अभियोजन पक्ष की अपील पर सुनवाई करते हुए विपक्षी नेता को पांच से 10 साल की कैद की सजा दी।