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कोरोना को लेकर चीन की बड़ी साजिश का खुलासा, 2015 में इस वायरस को हथियार बनाने की हुई थी चर्चा

कुछ दस्तावेज लीक हुए हैं, जिसमें ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन के वैज्ञानिकों को 2015 में ही पता था और चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस को एक हथियार बनाने के तौर पर चर्चा कर रहे थे।

May 10, 2021 / 12:19 am

Anil Kumar

Chinese Scientists Discussed Weaponising Coronavirus in 2015, Reveal In Documents

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के प्रकोप से आज पूरी दुनिया जूझ रही है और अब तक लाखों लोगों की जान इससे जा चुकी है, जबकि करोड़ों लोग इससे संक्रमित हैं। हर दिन लाखों की संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं तो वहीं हजारों लोगों की इससे मौत हो रही है।

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने को लेकर चीन पर आरोप लगते रहे हैं, लेकिन चीन हमेशा इससे इनकार करता रहा है। अब एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसे जानने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे।

दरअसल, कुछ दस्तावेज लीक हुए हैं, जिसमें ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस को लेकर चीन के वैज्ञानिकों को 2015 में ही पता था और चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस को एक हथियार बनाने के तौर पर चर्चा कर रहे थे।

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दस्तावेज में ये पाया गया कि चीनी वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने “आनुवंशिक हथियारों के नए युग” पर चर्चा की थी। इस चर्चा में कोरोना वायरस को एक कृत्रिम रूप से हेरफेर करना भी शामिल था। यह दस्वावेज महामारी फैलने से पहले 2015 में ही लिखा गया था। यह जानकारी वीकेंड ऑस्ट्रेलियन में दी गई है, जो कि न्यूज.कॉम.एयू में प्रकाशित हुई थी।

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दस्तावेज वास्तविक हैं… नकली नहीं

‘द अननैचुरल ओरिजिन ऑफ एसएआरएस एंड न्यू स्पीशीज ऑफ मैन-मेड विरेसस ऐंड जेनेटिक बायवॉपन’, पेपर के बारे में कहा जाता है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा, जिसमें खुलासा किया गया है कि कैसे चीनी वैज्ञानिक एसएआरएस कोरोना वायरस को हथियार बनाने पर पांच साल पहले चर्चा कर रहे थे।

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ऑस्ट्रेलियाई रणनीतिक नीति संस्थान (एएसपीआई) के कार्यकारी निदेशक, पीटर जेनिंग्स ने कहा कि मुझे लगता है यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि चीनी वैज्ञानिक इस बारे में सोच रहे थे। एक साइबर सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट, जो लीक हुए चीनी सरकारी दस्तावेजों का विश्लेषण करता है, ने कहा कि न्यूज.कॉम के अनुसार, पेपर को सत्यापित करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई द्वारा पूछे जाने पर दस्तावेज़ निश्चित रूप से नकली नहीं है। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह दस्तावेज वास्तविक हैं … यह नकली नहीं है। हालांकि, यह किसी और के लिए व्याख्या करने पर निर्भर है कि यह कितना गंभीर है।

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