ये भी पढ़ें: मैक्सिको: पार्टी में बंदूकधारियों ने की ताबड़तोड़ गोलीबारी, 13 लोगों की मौत व्यापार करना हुआ मुश्किल यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि चीन की कठोर नीति के कारण उनका व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा है। इस कारण लोगों में दहशत का माहौल है। हालात ये हैं कि यहां के मछुआरों के लिए जीना मुहाल हो चुका है। ग्वादर पोर्ट के आसपास यदि कोई मछुआरा प्रतिबंधित क्षेत्र में पकड़ा जाता है तो उन्हें सजा दी जाती है। मछुआरे बिलाल का कहना है कि एक बार वह मछली पकड़ने अपनी बोट पर निकला था। मगर कुछ देर बाद चीनी सैनिकों उसे कैद कर लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी। उसे चेतावनी दी गई इस क्षेत्र में वह मछली पकड़ने दोबारा न आए। यहां पर हजारों मछआरें है, जिनकी रोजी रोटी इसी पर निर्भर है। मगर लगभग सभी का मत है कि चीन की परियोजनाओं के कारण उनकी कमाई ठप हो गई है। इसके अलावा यहां पर मछली उद्योग से लाखों लोगों की जीविका जुड़ी हुई है। चीन की सख्ती के कारण उनके लिए कमाई करना मुश्किल हो गया है।
ये भी पढ़ें: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फिर सताने लगा महाभियोग का डर! अमरीकी सियासत में मचा कोहराम बड़े इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया ग्वादर में मछुआरे मांग कर रहे हैं कि मछुआरों के लिए समुद्र में जाने का रास्ता 200 फीट चौड़ा होना चाहिए और समुद्र में मछली पकड़ने की पूरी छूट होनी चाहिए। चीन ने समुद्र के एक बड़े इलाके को रेड जोन घोषित कर दिया है। ऐसे में वह न तो वहां मछली पकड़ सकते हैं और न ही वहां जा सकते हैं। गौरतलब है कि सीपीईसी ग्वादर से शुरू होकर काशगर में खत्म होता है। ईस्टबे एक्सप्रेसवे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। 19 किलोमीटर लंबे, छह लेन वाले एक्स्प्रेसवे ग्वादर के बंदरगाह को सड़क से जोड़ेगा। यह अंत में इसे चीन के काशगर शहर से जोड़ने जा रहा है।
तीन हजार चीनी लोगों को बसाने की कवायद चीन यहां पर एक अवासीय कालोनी भी बना रहा है। इस क्षेत्र में वह अपने लोगों को बसाने का प्रयास कर रहा है। यहां पर वह हजारों घरों का निर्माण कर रहा है। इस परियोजना से जुड़े चीनी लोगों को वह पूरी सुविधा दे रहा है। इस तरह से देखा जाए तो वह पाकिस्तान के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना रहा है।
ये भी पढ़ें: श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट, धमाके बाद मची अफरा-तफरी, देखें तस्वीरें भारत की आपत्तियां भारत इस परियोजना पर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुका है। उसका यह मानना है कि यह क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है। यह आर्थिक गलियारा गिलगिट और बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है। भारत दावा करता है कि यह विवादित क्षेत्र है और पाकिस्तान प्रशासित, जम्मू-कश्मीर क्षेत्र का हिस्सा है। चीन और पाकिस्तान, दोनों भारत की इन आपत्तियों को ख़ारिज कर चुका है। दोनों ने दावे से कहा है कि यह परियोजना उनकी आबादी के विकास के लिए जरूरी है और वो इस परियोजना से पीछे नहीं हटेंगे। सीपीईसी परियोजना की लागत 43 लाख करोड़ रुपये (60 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। इससे चीन अरब सागर तक पहुंच बना पाएगा।
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