एशिया

पूर्व मुख्य न्यायाधीश को स्पेशल कोर्ट ने सुनाई 11 साल की सजा, जानिए कहां का है मामला और क्या था अपराध

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसके सिन्हा को ढाका की स्पेशल कोर्ट ने 11 साल जेल की सजा सुनाई है। सिन्हा कर्ज लेने के एक मामले में धोखाधड़ी करने और मनी लांड्रिंग केस में दोषी पाए गए हैं। उन्हें कर्ज लेने के लिए धोखाधड़ी करने पर चार साल और मनी लांड्रिंग केस में सात साल की सजा भुगतनी होगी।
 

Nov 09, 2021 / 08:33 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसके सिन्हा को कर्ज लेने में धोखाधड़ी करने और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 11 साल जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें यह सजा ढाका की स्पेशल कोर्ट ने दोषी पाए जाने पर सुनाई है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश को कर्ज और धोखाधड़ी के लिए चार साल और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सात साल की सजा सुनाई गई है। ढाका के स्पेशल कोर्ट नंबर चार के जज शेख नजमुल आलम ने यह फैसला सुनाया।
तत्कालीन फार्मर्स बैंक (अब पद्मा बैंक) से चार करोड़ रुपये के कर्ज के गबन के मामले में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा समेत 11 अभियुक्तों में से आठ को अलग-अलग सजा सुनाई गई है। फैसले के बाद जज नजमुल आलम ने कहा कि तत्कालीन किसान बैंक के ऋण के पैसे का जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने अवैध इस्तेमाल किया था।
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सिन्हा के खाते में ये पैसे ट्रांसफर किए गए थे। इससे पहले ये फैसला 5 अक्टूबर को सुनाया जाना था, लेकिन जज के छुट्टी पर होने के कारण अगली तारीख 21 अक्टूबर तय की गई, लेकिन 21 अक्टूबर को भी फैसला नहीं सुनाया गया। इस बार कारण बताया गया कि फैसला तैयार नहीं होने के कारण जज ने नई तारीख दी है।
पिछले साल 5 जनवरी को ढाका की एक अदालत ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने 2016 में सरकार के साथ मतभेदों के कारण देश छोड़कर विदेश जाने के बाद मुख्य न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दे दिया था।
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वे पहले अमेरिका में बस गए और फिर कनाडा चले गए। विदेश में रहते हुए, एसके सिन्हा ने अपने जीवन और काम के बारे में ‘ए ब्रोकन ड्रीम’ नामक एक किताब लिखी। इससे पहले 9 दिसंबर 2019 को भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने जस्टिस सिन्हा समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोग में आरोप लगाया गया है कि अभियुक्तों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए साज़िश रची, अवैध रूप से नकली ऋण बनाकर, उन्हें विभिन्न बैंकों में करके और नकद निकासी और भुगतान-आदेश के माध्यम से उनकी हेराफेरी करके खुद को और दूसरों को लाभान्वित किया।

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