जुगया गांव में 40 वर्षीय मीरा पत्नी पप्पू अगरिया को प्रसव पीड़ा हुई, तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने एंबुलेंस बुला दी। महिला को परिजन जिला अस्पताल लेकर जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही शाम 7 बजे उसने एक बच्चे को जन्म दिया और रास्ते में ही 7:10 बजे दूसरे बच्चे का जन्म हुआ। इसके बाद महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर शाम को 7:20 बजे तीसरे बच्चे को जन्म दिया। एक साथ जन्में तीनों पुत्र हैं। महिला के पहले से पांच बच्चे हैं और ये छठवा प्रसव था। इससे अब मीरा के आठ बच्चे हो गए हैं, जिनमें सबसे बड़ी बेटी की उम्र करीब 25 साल है, जिसकी शादी हो गई है।
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तीनों बच्चों का वजन कम, एसएनसीयू में भर्ती
एसएनसीयू प्रभारी डॉ.एससी दुबे ने बताया कि, सामान्य बच्चे का वजन ढ़ाई किलो होता है और तीन से साढ़े तीन किलो वजन तक के बच्चे पैदा होते हैं। लेकिन इन तीनों बच्चों का वजन कम है, जिनमें एक का वजन एक किला, दूसरे का एक किलो 100 ग्राम व तीसरे का एक किलो 200 ग्राम है। डॉ.एससी दुबे के मुताबिक, तीनों बच्चों का कुल वजन एक सामान्य बच्चे के वजन के बराबर है। कम वजन होने से तीनों को गंभीर माना गया है और उन्हें शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में भर्ती किया गया है।
परिजन बोले न राशन मिलता है और न ही अन्य सरकारी लाभ-
जहां शासन घुम्मड़ जनजाति के लिए कई तरह की योजनाओं के लाभ का दावा करती है, लेकिन मीरा की गुना के वार्ड क्रमांक एक निवासी भाभी ने बताया कि मीरा के पास न तो राशन कार्ड है और न राशन मिलता है, वहीं इस एंबुलेंस को छोड़ सरकार की अन्य किसी योजना का भी कभी लाभ नहीं मिला। साथ ही बताया कि उसके बच्चे के नाम भी स्कूल में दर्ज नहीं है।