इंदौर-जबलपुर व जबलपुर-इंदौर ट्रेन तो बंद ही पड़ी हुई है, वहीं जबलपुर-कोटा व कोटा-जबलपुर ट्रेन भी कोरोना काल से रूट पर बंद है। इसके अलावा शाम को चलने वाली बीना- गुना व गुना-बीना ट्रेन भी बंद है। जबकि शाम को चलने वाली गुना-बीना व बीना-गुना ट्रेन से छात्र-छात्राएं कोङ्क्षचग पढऩे शहर आते थे, जो अब शहर में कोङ्क्षचग को नहीं आ पाते। वहीं इस ट्रेन के बंद होने से कई लोगों का काम भी ठप हो गया है। इसके अलावा उज्जैन-देहरादून व देहरादून-उज्जैन एक्सप्रेस को गुना-बीना की वजाय गुना-ग्वालियर के रास्ते और इंदौरजबलपुर व जबलपुर-इंदौर को बीना-भोपाल के रास्ते निकाला जा रहा है। इससे जिले में यह ट्रेनें भी बंद हैं।
जिले से रोज इंदौर जा रहीं 15 बसें
शहर का व्यापार इंदौर से चलता है, इससे व्यापारी वर्ग तो इंदौर जाता ही है। साथ ही छात्र, मरीज व अन्य कार्यों से भी रोजाना सैंकड़ों लोगों को इंदौर जाना पड़ता है। लेकिन इंदौर-जबलपुर-इंदौर ट्रेन रूट पर बंद होने से जिले के लोग परेशान हैं। ऐसे में अशोकनगर व चंदेरी-मुंगावली से रोज करीब 15 स्लीपर बस इंदौर जा रही है, जिनमें सभी यात्रियों को सीट तक नहीं मिल पाती है और इससे यात्री घंटों खड़े रहकर यात्रा करने मजबूर हैं।
नाराजगी: बिना सर्वे किसी भी समय चलाई जा रहीं ट्रेन
रूट पर जो ट्रेनें चल रही हैं वह भी समय का सर्वे किए बिना ही मनमाने तरीके से किसी भी समय चला दी जाती हैं। स्थिति यह है कि पौंने चार घंटे में गुना तरफ जाने पांच ट्रेनें चल रही हैं, इससे कई ट्रेनें खाली जाती हैं तो वहीं घंटों कोई भी ट्रेन रूट पर नहीं है। ट्रेनों के समय की समस्या को लेकर जिलेवासियों में नाराजगी है।
इंदौर जाने सीधी कोई ट्रेन नहीं
इंदौर जाने सीधी कोई ट्रेन नहीं है, कहीं गुना तो कहीं उज्जैन पहुंचकर घंटों ट्रेनों का इंतजार करना पड़ता है। वहीं इंदौर जाने उज्जैन तक साबरमती एक्सप्रेस है, जिसमें सेकेंड क्लास कोच में पैर रखने जगह नहीं मिलती तो स्लीपर में वेङ्क्षटग वाले भी नीचे पड़े रहते हैं।
-तेजल शिवहरे, छात्रा
कई जगह ट्रेन बदलना पड़ती है
व्यापार के काम से इंदौर जाना पड़ता है, लेकिन कोई सीधी ट्रेन नहीं है। इंदौर जाने रास्ते में कई जगह ट्रेन बदलना पड़ती है। वहीं जिले से चलने वाली बसों में तक कई बार सीट नहीं मिल पाती है इससे घंटों खड़े रहकर यात्रा करना पड़ती है। जबलपुर-इंदौर ट्रेन को फिर से चालू किया जाए।
-कमलेश चौरसिया, व्यापारी
मनमाने समय पर ट्रेनें चला रहे
कोरोना काल से पहले ट्रेनों का जो समय था, रास्ते से बदलकर अन्य रूटों पर जाने ट्रेनें समय पर मिल जाती थीं। अब समय व यात्रियों की जरूरत का सर्वे किए बिना मनमाने समय पर ट्रेनें चलाई जा रही हैं। बंद ट्रेनें चालू हों और पूर्व समय पर चलाई जाएं, तब लाभ मिलेगा।
-कविता योगी, यात्री
रेलवे का तर्क है कि उज्जैन-देहरादून-उज्जैन को झांसी-बीना-गुना की वजाय गुना-ग्वालियर के रास्ते निकालने से 100 किमी दूरी शॉर्ट हुई है। बीना-नागदा एक्सप्रेस और नई बीना-कोटा मेमू का हमने समय बदलवाने की मांग की है। क्योंकि इन ट्रेनों के इस समय से रास्ते में अन्य रूटों की ट्रेनों को यात्री नहीं पकड़ पाते। बीना-गुना मेमू के भी दो चक्कर चलाने की मांग की है, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने एक ही चक्कर चलाने की मांग की थी इसलिए बीना-गुना का दूसरा चक्कर शुरू नहीं हो पा रहा है। वहीं इस रूट से इंदौर के लिए भी हमने सीधी ट्रैन की मांग की है।
-सुनील आचार्य, रेलवे जेडआरयूसीसी सदस्य