अशोकनगर

हमारी विरासत: दफीना के चक्कर में नष्ट हो रहीं पुरातन धरोहर, जहां देखो वहीं खुदे मिल रहे हैं गड्ढ़े

यह कैसी अनदेखी: जिले में बिखरी पड़ी पुरा संपदा को सहेजने पर नहीं शासन-प्रशासन को कोई ध्यान।

अशोकनगरApr 18, 2022 / 09:52 pm

Arvind jain

हमारी विरासत: दफीना के चक्कर में नष्ट हो रहीं पुरातन धरोहर, जहां देखो वहीं खुदे मिल रहे हैं गड्ढ़े



अशोकनगर. प्रदेश में पुरा संपदा के मामले में अशोकनगर सबसे समृद्ध जिला है, जिसे संरक्षित करने पर जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इससे दफीना के चक्कर में यह पुरातन धरोहरों को नष्ट किया जा रहा है, स्थिति यह है कि इन प्राचीन जगहों पर जहां भी देखो वहीं गड्ढ़े खुदे हुए मिल रहे हैं। इससे पुरातन मूर्तियों व कलाकृतियों को नुकसान पहुंच रहा है।
ईसागढ़ से करीब छह किमी दूर महुअन गांव में 8वी-9वी शताब्दी का शिव मंदिर है। मंदिर के सामने करीब 50 फिट दूर नंदी विराजमान है। हालांकि मंदिर खेत में स्थित है और इससे मंदिर व नंदी के बीच खाली पड़ी जगह में भी खेती होती है। मंदिर के अवशेषों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि पूर्व में यह मंदिर कितना बड़ा रहा होगा। हालांकि अब मंदिर में मूर्ति नहीं है, लेकिन लोगों ने दफीना के चक्कर में मंदिर में खुदाई कर दी है। इसके अलावा यक्ष प्रतिमा, जैन प्रतिमा, भगवान विष्णु, शिव, बुद्ध व कुछ अन्य प्रतिमाएं खुले में पड़ी हुई हैं, जो 7वी से 10वी शताब्दी के बीच की हैं।
देवकानी: गर्भगृह खुदाई कर पूरी मिट्टी तक निकाल दी बाहर-
वहीं ईसागढ़ से छह किमी दूर देवकानी माता मंदिर क्षेत्र में जहां मुख्य मंदिर में तो पूजा होती है, लेकिन मंदिर के दोनों तरफ करीब एक दर्जन अन्य मंदिर व आठ-दस प्राचीन कुटियां और बावडिय़ां बनी हुई हैं। मुख्य मंदिर के पास बने मंदिरों में लोगों ने दफीना के चक्कर में गर्भगृहों में इतनी गहरी खुदाई कर दी कि पूरी मिट्टी बाहर निकाल दी गई और वहं अब गड्ढ़े हो गए हैं। यही स्थिति मुंगावली ब्लॉक के मल्हारगढ़ किले में भी है, जहां लोगों ने दफीना के चक्कर में जगह-जगह खुदाई कर और जगह-जगह गड्ढ़े बने हुए हैं।
नष्ट हो रही प्राचीन विरासत, टूट रहीं कलाकृतियां-
दफीना के चक्कर में लोगों द्वारा रात के समय प्राचीन स्थलों पर खुदाई की जा रही है, इससे जिले की प्राचीन विरासत नष्ट हो रही हैं, साथ ही मूर्तियां व कलाकृतियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। यदि यही स्थिति रहीं तो जिले में फैली यह पुरासंपदा इसी तरह से टूटकर नष्ट हो जाएगी। लेकिन इसके बावजूद भी इन्हें सहेजने पर न तो शासन कोई ध्यान दे रहा है और न हीं प्रशासन।
इनका कहना है-
महुअन और देवकानी में दोनों ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं, इनके संरक्षण की कोशिश हमने पहले की थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। यहां दफीना के चक्कर में लोगों द्वारा सबसे अधिक नुकसान पुरातत्व को पहुंचाया जा रहा है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
हेमंत दुबे, पुरातत्वविद

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