मामला शहर के ओवरब्रिज का है। जिले में सबसे ज्यादा वाहनों की आवाजाही इसी ओवरब्रिज से होती है। गत 5 नवंबर की शाम इस ब्रिज कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर अचानक धंसक गया था। अधिकारियों ने इसे चूहों द्वारा क्षतिग्रस्त करना बताया था। इसमें एक बार डामर-गिट्टी व दो बार मुरम भरी गई, लेकिन बार-बार धंसकने से ब्रिज के भविष्य पर सवाल उठने लगे। बुधवार को सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री योगेंद्र यादव ने एमआइटीएस ग्वालियर के वरिष्ठ प्रोफेसर सुभाष त्रिवेदी और प्रोफेसर अभिलाष तिवारी के साथ पहुंचकर ब्रिज की स्थिति देखी। साथ ही इसके भविष्य की स्थिति जानी और इसे माइनर डेमेज माना है।
स्लैब पर होगी कांक्रीट, चूहों के होल को जाली लगा करेंगे बंद
पूरे ब्रिज का बारीकी से निरीक्षण के बाद इस ब्रिज की मरम्मत की योजना तैयार की गई। इससे अब ओवरब्रिज के एप्रोच स्लेब को मोटे सरियों की लेयर डालकर दोबारा कांक्रीट होगी, साथ ही प्रोफेसरों ने चूहों के सभी होल को भी सरिया की जाली लगाकर बंद करने की सलाह दी। वहीं ब्रिज की मंडी तरफ की रिटर्निंग वॉल की भी कांक्रीटिंग की जाएगी। ताकि फिर से चूहे इस ओवरब्रिज में न घुस सकें और ब्रिज को फिर से नुकसान न पहुंचा सकें। इसके लिए ब्रिज पर फुटपाथ की भी खुदाई कर मरम्मत होगी।
पास में नए पुल की भी योजना, शासन को भेजा प्रस्ताव
भारी वाहनों को निकालने के लिए शहर का यह एकमात्र ब्रिज है, जहां से गुना, विदिशा, चंदेरी, ईसागढ़, मुंगावली व पिपरई तरफ से आने-जाने वाले सभी भारी वाहन निकलते हैं। ऐसे में बढ़े हुए यातायात को देखते हुए सेतु निगम ने पास में ऐसे ही एक और ओवरब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया है और सांसद व केंद्रीय मंत्री ने पास में नए ओवरब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा है। बजट में स्वीकृति मिलने के बाद शहर में ओवरब्रिज के पास ही एक अन्य ओवरब्रिज का निर्माण किया जाएगा। यह भी खास
प्रोफेसरों और अधिकारियों ने ब्रिज का बारीकी से निरीक्षण किया और गंदगी के बीच ब्रिज के नीचे भी स्थिति देखी। स्थिति जानी कि कहीं ज्यादा क्षतिग्रस्त तो नहीं है।
ब्रिज से पानी निकासी के लिए लगे पाइपों में से निकल रही मुरम और जमीन में चूहों के बिल भी टीम ने देखे और हैरानी जताई, यह बिल भी बंद करने कहा।
विभाग को आशंका थी कि कहीं ब्रिज ज्यादा क्षतिग्रस्त न हो गया हो और इससे अचानक से पूरा रास्ता बंद न हो जाए, नहीं तो वाहन निकलने जगह नहीं बचेगी।
एक घंटे प्रोफेसरों और सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री ने ब्रिज का निरीक्षण किया, साथ ही प्रोफेसर हंसते हुए बोले चूहों ने अशोकनगर का शरबती गेहूं खाया है।
कोई गंभीर समस्या तो नहीं, न ही कोई क्रेक
ओवरब्रिज में कोई गंभीर समस्या तो नहीं है, इसकी जांच करने एमआइटीएस के प्रोफेसरों के साथ आए थे। कोई गंभीर समस्या नहीं मिली और कोई क्रेक भी नहीं मिला। ओवरब्रिज की एप्रोच स्लैब की कांक्रीट दोबारा करेंगे व चूहों के होल पर जालियां लगाकर बंद करेंगे व मंडी तरफ रिटर्निंग वॉल की कांक्रीटिंग करेंगे। यह रिपोर्ट भोपाल भेजेंगे, स्वीकृति मिलते ही करीब तीन दिन बाद मरम्मत शुरू करा देंगे। 35 साल पुराना यह ब्रिज है, जो ठीक है लेकिन 35 साल में ट्रैफिक ज्यादा हो गया। इस कारण सांसद व केंद्रीय मंत्री ने पास में ही ऐसे एक और नए ब्रिज का प्रस्ताव शासन को भेजा है।