पुरातत्वविद हेमंत दुबे के मुताबिक वर्ष 1971-72 में Dr. Hari singh gour Centrail university Sagar ने तूमेन में उत्खनन कराया तो गुप्तकालीन व उत्तर गुप्तकालीन पुरा अवशेष मिले थे। जिसमें काले पोलिसयुक्त मिट्टी के बर्तन, अभ्रक मिले बर्तन, कुमार गुप्त प्रथम के शासन का गुप्त संवत 116 के शिलालेख, सिंहस्थ लिखी हुई मिट्टी की सील, तांबा, चांदी व कांसे के सिक्के, 8वी शताब्दी की विष्णु प्रतिमा, 7वी शताब्दी की नटराज प्रतिमा मिली थी। लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय पुरातत्व सर्वे, राज्य पुरातत्व विभाग व जिला प्रशासन ने बिखरी पड़ी पुरासंपदा को सहेजने पर कोई ध्यान नहीं दिया।
6वी से 11वी शताब्दी तक की पुरातन कलाकृतियों को लोगों ने घरों की दीवारों में चुनवा लिया है तो कहीं यह अभिलेख गाय-भैंस बांधने का खूंटा बन गए हैं। साथ ही कई प्राचीन शिलालेखों को लोगों ने पेंट्स से पोत दिया है तो कुछ मंदिरों के फर्श को हटाकर लोगों ने टाइल्स लगवा दी हैं। वहीं शैलचित्रों को लोग पत्थरों से खरोंच रहे हैं।
1. सकर्रा गांव- करीब एक हजार साल पुराने चार मंदिर हैं, जो क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पत्थर जमींदोज हो रहे हैं, तालाब किनारे जैन तीर्थकरों की प्रतिमाएं पड़ी हुई हैं।
2. ईंदौर गांव- 8वी शताब्दी का तारकाकार शैली में बना गरगज मंदिर हैं, इस मंदिर पर अमेरिका के प्रोफेसर ने आर्टीकल लिखा था, 100 फिट ऊंचे इस मंदिर से हर साल एक पत्थर नीचे टपक जाता है, गांव में 8वी शताब्दी की मूर्तियां खुले में पड़ी हुई हैं।
3. बख्तर गांव- एक हजार साल पुराने शिव मंदिर में मूर्ति तो नहीं है, लेकिन पीले पत्थर से बना यह मंदिर धूप में स्वर्ण सा चमकता है, यह पत्थर अब चोरी हो रहे हैं। जिस पर एक यात्री का 400 साल पुराना अभिलेख मिला था।
4. तिलहारी गांव- जंगल में झिर क्षेत्र में झरना निकला हुआ है, जहां पहाड़ी पर पाषण औजार मिले और शैलचित्र बने हुए हैं। गेरुआ रंग के इन शैलचित्रों को लोग पत्थरों से खरोंचकर मिटा रहे हैं।
5. मल्हारगढ़ गांव- करीब 500 साल पुराना किला है, जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, किले में स्वीमिंग पुल नुमा पानी का स्रोत बना हुआ है, जो चारों तरफ से आकर्षक नक्काशी से घिरा हुआ है, लेकिन इसके सरंक्षण पर भी किसी का ध्यान नहीं है।
6. सीतामढ़ी- शिवजी का बड़ा और प्राचीन मंदिर है, परिसर में बड़ी संख्या में मूर्तियां व पुरातन अवशेष बिखरे पड़े हुए हैं, जिन्हें सहेजने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
प्रदेश में अशोकनगर जिला पुरातन संपदा के मामले में समृद्ध है, जिले में जगह-जगह पुरातन संपदा बिखरी पड़ी हुई है, जो 6वी से 11वी शताब्दी की है। यदि इन्हें संरक्षित कर प्रमोट करें तो जिले में पर्यटन की संभावनाएं हैं। इसके लिए प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को गंभीरता दिखाते हुए प्रयास करने की जरूरत है।
हेमंत दुबे, पुरातत्वविद