भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान अनिल मिश्रा ने बताया कि अब यहां के किसानों के सामने भूखे मरने की स्थिति आ गई है। जो जमीन उसके पास थी वह कंपनी ने अधिग्रहित कर ली और मुआवजा राशि भी कुछ दिनों में ही खत्म हो गई और रोजगार भी नहीं मिला। इस कारण अब किसानों के सामने भूखों मरने की स्थिति आ गई है।
किसान आदित्य राठौर ने बताया कि विधानसभा चुनाव का ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार किया था लेकिन तब तत्कालीन एसडीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि चुनाव में मतदान करें चुनाव के तुरंत बाद कंपनी से बात करके उनकी समस्याएं दूर की जाएगी। अब अधिकारी कर रहे हैं कि उनके पास कंपनी के किसी अधिकार की जानकारी नहीं है।
किसान रामपाल केवट ने कहा कि प्रशासन के मध्यस्थता से किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई लेकिन अब प्रशासन कंपनी प्रबंधन की मनमानी पर चुप्पी साधे हुए हैं। कई बार कलेक्टर कार्यालय एवं जनसुनवाई में भी समस्या बताई लेकिन आज तक कंपनी के कोई अधिकारी किसानों की परेशानी सुनने के लिए नहीं लौटे।
किसान नारायण राठौर ने बताया कि कंपनी ने भूमि अधिग्रहण के लिए जो अनुबंध किया था उसमें कई सारी सुविधाएं प्रभावित काश्तकारों को दिए जाना था, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, जरूरतमंदों को पेंशन एवं अन्य कई सुविधा थी लेकिन 14 वर्ष बीतने के बावजूद आज तक इनमें से एक भी सुविधा किसानों को कंपनी ने नहीं दी।