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अनूपपुर

14 साल बाद भी नहीं खुला पावर प्लांट, लोगों के पास खेती के लिए नहीं बची भूमि, मुआवजा राशि भी हो गई खत्म

अनूपपुर. जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कोलमी और रक्सा में वर्ष 2010 में 1320 मेगावाट के पावर प्लांट प्रारंभ किए जाने को लेकर के किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। भूमि अधिग्रहण के बाद कंपनी प्रबंधन ने यहां न तो पावर प्लांट प्रारंभ किया और न ही यहां के किसानों को रोजगार मिला सका। […]

अनूपपुरNov 27, 2024 / 11:49 am

Sandeep Tiwari

अनूपपुर. जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कोलमी और रक्सा में वर्ष 2010 में 1320 मेगावाट के पावर प्लांट प्रारंभ किए जाने को लेकर के किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। भूमि अधिग्रहण के बाद कंपनी प्रबंधन ने यहां न तो पावर प्लांट प्रारंभ किया और न ही यहां के किसानों को रोजगार मिला सका। बल्कि उनके पास जो भूमि थी वह भी उनके हाथ से चली गई। भूमि के बदले में जो मुआवजा राशि मिली वह भी दो-चार वर्ष में समाप्त हो गई। रोजगार न मिलने से अब किसानों के पास खेती के लिए भूमि भी नहीं बची है। ये है मामला जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम कोलमी और रक्सा में 1320 मेगावाट पावर प्लांट की स्थापना के लिए कंपनी गुडग़ांव ने स्थानीय किसानों से लगभग 500 हेक्टेयर रक्सा में 243 किसानों और कोलमी में 48 किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। रोजगार की आस में किसानों ने भी अपनी भूमि कंपनी को दे दी लेकिन वर्ष 2010 में भूमि अधिग्रहण के लगभग 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक कंपनी प्रबंधन ने यहां पर न तो पावर प्लांट खोला और न ही प्रभावित किसानों को कोई सुविधा प्रदान की गई। इस संबंध में अनूपपुर एसडीएम महिपाल सिंह गुर्जर का कहना है कि जानकारी लेकर कार्रवाई कराई जाएगी।
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान अनिल मिश्रा ने बताया कि अब यहां के किसानों के सामने भूखे मरने की स्थिति आ गई है। जो जमीन उसके पास थी वह कंपनी ने अधिग्रहित कर ली और मुआवजा राशि भी कुछ दिनों में ही खत्म हो गई और रोजगार भी नहीं मिला। इस कारण अब किसानों के सामने भूखों मरने की स्थिति आ गई है।
किसान आदित्य राठौर ने बताया कि विधानसभा चुनाव का ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार किया था लेकिन तब तत्कालीन एसडीएम ने उन्हें आश्वासन दिया कि चुनाव में मतदान करें चुनाव के तुरंत बाद कंपनी से बात करके उनकी समस्याएं दूर की जाएगी। अब अधिकारी कर रहे हैं कि उनके पास कंपनी के किसी अधिकार की जानकारी नहीं है।
किसान रामपाल केवट ने कहा कि प्रशासन के मध्यस्थता से किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई लेकिन अब प्रशासन कंपनी प्रबंधन की मनमानी पर चुप्पी साधे हुए हैं। कई बार कलेक्टर कार्यालय एवं जनसुनवाई में भी समस्या बताई लेकिन आज तक कंपनी के कोई अधिकारी किसानों की परेशानी सुनने के लिए नहीं लौटे।
किसान नारायण राठौर ने बताया कि कंपनी ने भूमि अधिग्रहण के लिए जो अनुबंध किया था उसमें कई सारी सुविधाएं प्रभावित काश्तकारों को दिए जाना था, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, जरूरतमंदों को पेंशन एवं अन्य कई सुविधा थी लेकिन 14 वर्ष बीतने के बावजूद आज तक इनमें से एक भी सुविधा किसानों को कंपनी ने नहीं दी।

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