इस गांव में अधिक संख्या में उगते थे नीम के पेड़, ग्रामीणों ने नाम रख दिया निमहा
बदले समय में नीम के पेड़ तो नहीं रहे, लेकिन नाम आज भी कायम
इस गांव में अधिक संख्या में उगते थे नीम के पेड़, ग्रामीणों ने नाम रख दिया निमहा
अनूपपुर। अधिकांश शहर या गांव के नाम नदियों, महत्वपूर्ण व्यक्तित्व या फिर धार्मिक कारणों में पड़े हैं। लेकिन कोतमा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत बेनीबहरा के ग्राम निमहा का नाम यहां अधिक संख्या में उगे हुए नीम के पेड़ के कारण पड़ा है। बताया जाता है कि इस गांव में अधिक संख्या में नीम के पेड़ उगते थे, जिसमें ग्रामीणों ने इसे अधिक नीम के पेड़ के गांव से सम्बोधित करते हुए निमहा से ही नामांकरण कर दिया। हालांकि बाद से धीरे-धीरे आबादी बढऩे के साथ दैनिक उपयोग में आने वाले नीम के पेड़ अब समाप्त होते चले गए, गांव में कुछ ही संख्या में नजर आते हैं। लेकिन गांव के नाम आज भी नीम के पर्यावाची के रूप में निमहा से पहचान बनाए हुए हैं।
आदिवासी बाहुल्य है गांव
यह गांव पूरी तरह से आदिवासी बाहुल्य गांव हैं, जहां पाव जाति के सर्वाधिक लोग निवासरत हैं। जिसके बाद यादव और राव जाति के लोग यहां रहते हैं। यहां की आबादी 570 की है। स्थानीय ग्रामीण बुधराम यादव ने बताया कि उन्हें घर के बड़े बुजुर्गों से यह जानकारी मिली थी कि पहले गांव में नीम के पेड़ बहुतायत में थे। जिसकी वजह से गांव का नाम पड़ा था। नीम के पेड़ आयुर्वेद के रूप में होते हैं, इसलिए ग्रामीण इसका उपयोग दर्द निवारण, फोड़ा-फुंसी में उबाल कर नहाने, चेचक होने पर इसके टहनियों से हवा करने सहित अन्य ग्रामीण नुख्शों के रूप में करते थे।
बदले समय में नीम के पेड़ तो नहीं रहे, लेकिन नाम आज भी कायम
स्थानीय ग्रामीण चंदूलाल पाव ने बताया कि वर्तमान में गांव में स्थित नीम के पेड़ नहीं है, कुछ संख्या में विधमान है, जिनका उपयोग स्थानीय लोगों द्वारा विभिन्न कार्यों में किया जाता है। वहीं आबादी बढऩे के साथ पूर्व में लगे नीम के पेड़ अब बहुतायत में नहीं बचे। लेकिन नीम के पेड़ की कमी के बाद भी गांव का नाम आज भी उसी के नाम पर है।
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