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अनूपपुर

जिले में कम नहीं हो रहा कुपोषण, इस वर्ष अब तक 902 मामले आए सामने

अनूपपुर. तमाम प्रयास के बाद भी जिले में कुपोषण का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। हालांकि मैदानी अमले के सक्रिय होने के कारण कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराया जा रहा है। इस वर्ष अब तक 902 कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराया गया है। अनूपपुर जिला चिकित्सालय […]

अनूपपुरNov 14, 2024 / 12:02 pm

Sandeep Tiwari

अनूपपुर. तमाम प्रयास के बाद भी जिले में कुपोषण का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है। हालांकि मैदानी अमले के सक्रिय होने के कारण कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराया जा रहा है। इस वर्ष अब तक 902 कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराया गया है। अनूपपुर जिला चिकित्सालय में 241, जैतहरी में 109 कोतमा में 130, राजेंद्रग्राम में 287 तथा करपा में 135 बच्चों को कुपोषित पाए जाने पर एनआईसी केंद्र में उपचार के लिए भर्ती किया गया। बीते वर्ष से अगर तुलना की जाए तो यह आंकड़ा कुछ कम है। वर्ष 2023 में कुल 1550 बच्चों को कुपोषित पाए जाने पर पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराया गया था। राजेंद्रग्राम में 445, करपा में 210, जैतहरी में 218, कोतमा में 252 एवं जिला चिकित्सालय में 425 कुपोषित बच्चों को उपचार के लिए दाखिल कराया गया। वहीं वर्ष 2022 में जिले में कुल 939 को पोषित बच्चे एनआईसी केंद्र में उपचार के लिए दाखिल कराए गए थे। इनमें से राजेंद्र ग्राम में 265, करपा में 94, जैतहरी में 174, कोतमा में 197 एवं जिला चिकित्सालय में 209। आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेना सिर्फ औपचारिकता कुपोषण की रोकथाम के लिए जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन यह भी औपचारिकता बनकर रह गई है। 149 आंगनबाडिय़ों को अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने गोद लिया है। इसका उद्देश्य था कि अधिकारी व जनप्रतिनिधि आंगनबाडिय़ों में नियमित रूप से जाकर बच्चों के स्वास्थ्य तथा शिक्षा और उनको प्रदान किए जा रहे पोषण आहार की मॉनीटरिंग करें जिससे कुपोषण को दूर किया जा सके। गोद लेने के बाद भी अधिकारी आंगनबाडिय़ों में यह देखने नहीं जाते कि बच्चे किस हालत में हैं और उन्हें पोषण आहार में क्या दिया जा रहा है।
जिम्मेदारी तय करना जरूरी

जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से बच्चों के शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है। इसके बावजूद जिले में कुपोषण दर तथा कुपोषित बच्चों की संख्या कम नहीं हो रही है। इसके लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने जरूरी हैं। जो बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र में दर्ज हैं वह अगर कुपोषण के शिकार हो रहे हैं तो इस पर संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। साथ ही संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए। जिलेभर में कुल 1156 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिनमें कोतमा में 168, अनूपपुर 278, जैतहरी 274 और पुष्पराजगढ़ में 436 आंगनबाड़ी केंद्र हैं।
1149 आंगनबाड़ी केंद्रों को जिले के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने गोद लिया है। कुपोषण को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पुराने कुपोषित बच्चों को ठीक होने पर नए केस सामने आ जाते हैं।
विनोद परस्ते, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग अनूपपुर

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