दुनिया के सबसे बड़े अष्टधातु के मंदिरों में एक होगा अमरकंटक भगवान आदिनाथ जैन
मंदिर २४ हजार किलोग्राम वजन की प्रतिमा १७ हजार की अष्टधातु की कमल पर है विराजमान
अनूपपुर। शांति और अहिंसा के प्रतीक जैन धर्म के २४ वें तीर्थकर भगवान महावीर की स्मृति तथा उनके बताए पद्चिह्नों पर अनुयायियों को चलने के संदेश के साथ धर्म प्रचार प्रसार में अमरकंटक में निर्माणाधीन सर्वोदय जैन मंदिर भारत सहित दुनिया के सबसे बड़े अष्टधातुओं के मंदिरों में एक होगा, जहां भगवान आदिनाथ की 24 फीट ऊंची प्रतिमा २४ हजार किलोग्राम वजनी अष्टधातु से ढली १७ हजार किलोग्राम अष्टधातु की कमल आसनी पर विराजमान दिखाई गई है। इस प्रकार कुल ४१ हजार किलोग्राम अष्टधातु की यह पूर्ण प्रतिमा स्थापित की गई है। गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के लिए प्रस्तावित आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से कानपुर (उन्नाव) में ढली अष्टधातु से निर्मित 24000 किलोग्राम वजनी संसार की सबसे वजनदार भगवान श्री आदिनाथजी की पद्मासन प्रतिमा है, जिन्हें सनातन सम्प्रदाय में भी आदिब्रह्मा के नाम से जाना जाता है। इसे आचार्य श्री विद्यासागरजी ने 6 नवम्बर 2006 को विधि-विधान से स्थापति किया था। हालांकि मंदिर का निर्माण कार्य अभी अपूर्ण है, जिसके निर्माण कार्य को गति देकर पूर्ण की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। बताया जाता है कि दूर से देखने पर अमरकंटक का सर्वोदय जैन मंदिर काफी हद तक गुजरात के अक्षरधाम मंदिर की तरह लगता है, जो चार एकड़ भूमि में फैला है। यह मंदिर जैन समाज का अबतक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसके निर्माण पर 20 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसके डिजाइन और निर्माण में 300 कलाकार लगे हैं। जानकारों के अनुसार मंदिर के गुंबद की ऊंचाई 144 फीट है। जबकि मंदिर का सिंहद्वार 51 फीट ऊंचा 42 फीट लम्बा होगा। इसके निर्माण में राजस्थान की गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। वहीं इस मंदिर को बनाने में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य 2015 तक पूरा हो जाना तय किया गया था, लेकिन ८ अप्रैल २०१५ को प्राकृति विपदा में मंदिर निर्माण में लगे क्रेन हादसा के कारण कुछ माह तक निर्माण कार्य रोक दिया गया था।
बॉक्स: क्या है मंदिर और मूर्ति की खासियत
मंदिर में भगवान आदिनाथ की 24 फीट ऊंची प्रतिमा अष्टधातु के बने कमल सिंहासन पर विराजमान तथा गर्भगृह में भगवान आदिनाथ विराजित हैं के साथ परम्परानुसार अष्टमंगल चिह्न भी उत्कीर्ण किए गए हैं। प्रतिमा का आभामंडल विशाल है। दांए-बांए चंवरधारिणी तथा इनके ऊपर
मंगल ? कलश स्थापित है। द्वार शाखाओं एवं सिरदल पर कमल पुष्पांकन है। प्रतिमा के वक्ष स्थल पर जैन प्रतिमा लांछन श्री वत्स बना हुआ है। २४ हजार किलोग्राम वजनी अष्टधातु की प्रतिमा की ढलाई उन्नाव कानपुर में किया गया है, जबकि १७ हजार किलोग्राम वजनी अष्टधातु कमल आसन को अहमदाबाद में ढाला गया है। निर्माण योजना के अनुसार मंदिर की ऊंचाई 151 फीट, चौड़ाई 125 फीट तथा लम्बाई 490 फीट रखी है। जब मंदिर निर्माण की योजना बनी थी तब इसकी अनुमानित लागत लगभग 60 करोड़ रुपए आंकी गई थी। लेकिन बढ़ती हुई मंहगाई को देखते हुए लगता है कि यह लागत अब बढकर 1 अरब रुपए तक पहुंच जाएगी।
बॉक्स: भारत के उपराष्ट्रपति ने किया था शिलान्यास
अमरकंटक में अक्षरधाम मंदिर के स्वरूप में बनाए जाने वाले सर्वोदय जैन मंदिर का २३ अप्रैल २००७ को भारत के उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत ने शिलान्यास किया था। वहीं शिलान्यास में नामित नामों में मप्र. के राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़, मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान , छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
रमन सिंह रहे। कहा जाता है कि डॉ. बलराम जाखड़ के आराम के लिए उनकी लम्बाई के अनुसार खाट का निर्माण कराया गया था। क्योंकि उस दौरान उनकी शारीरिक बनावट के अनुसार उपलब्ध पलंग छोटी साबित हो रही थी।
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