अनूपपुर

मां के आंचल से दूर बच्चों को विदेशों में मां की गोद में मिल रहा अपनापन

अनूपपुर. जिस नन्ही जान को मां नौ माह तक अपनी कोख में पालती है, उसे किसी ने किसी मजबूरी के चलते असहाय छोडऩा पड़ता है। इन बच्चों को पुलिस व महिला बाल विकास विभाग की टीम समुचित इलाज मुहैया कराने के बाद आश्रय केंद्र में रखती है। इन नवजात शिशुओं को समाज अपने अलग से […]

अनूपपुरOct 16, 2024 / 12:20 pm

Sandeep Tiwari

अनूपपुर. जिस नन्ही जान को मां नौ माह तक अपनी कोख में पालती है, उसे किसी ने किसी मजबूरी के चलते असहाय छोडऩा पड़ता है। इन बच्चों को पुलिस व महिला बाल विकास विभाग की टीम समुचित इलाज मुहैया कराने के बाद आश्रय केंद्र में रखती है। इन नवजात शिशुओं को समाज अपने अलग से कर देता हैं, लेकिन इन्हे अपनाने वालों की भी कमी नहीं है। आश्रय केंद्र लाए जाने वाले बच्चों को देश के साथ ही विदेश की दंपती भी गोद ले रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले के विभिन्न स्थानों से साल 2013 से अब तक 22 नवजात बच्चे पुलिस तथा महिला एवं बाल विकास विभाग ने आश्रय केंद्र पहुंचाया है। आश्रय केंद्र में बच्चों की विधिवत देखरेख व पालन पोषण की व्यवस्था की गई है। इन बच्चों को गोद लेने के लिए अलग-अलग दंपती आवेदन करते हैं। इनमें से सभी प्रकार के परीक्षण के बाद उपयुक्त दंपती बच्चो को गोद लेती है। विदेश में बच्चों को मिला नया परिवार बचपन से आश्रय स्थल में जीवन गुजार रहे इन बच्चों को देश ही नहीं बल्कि विदेश की दंपतियों ने अपनाते हुए इन्हें अपना नाम दिया है। अनूपपुर के आश्रय केंद्र से पिछले दस वर्ष में 19 बच्चों को अभी तक अपनाया है। इसमें यूएस, माल्टा की दंपती भी अनूपपुर के आश्रय केंद्र से बच्चों को गोद लिया है। इसके साथ ही भोपाल, बड़ौदा, दिल्ली, पुणे, तमिलनाडु, मुंबई, राजस्थान, आकोला, बेंगलुरु, जबलपुर जैसे महानगरों में यह बच्चे आश्रय केंद्र से गए हैं।
पिता ने हरिद्वार ले जाकर छोडा, माल्टा की दंपती ने अपनाया

जिले के ही एक गांव में चार बच्चोंं को छोड़कर मां चली गई। ऐसे में पिता ने भी उन्हें सहारा देने की बजाय हरिद्वार के मंदिर में बैठाकर यह कहकर चला आया कि मां को लेकर आता हूं। वहां से जाने के बाद पिता लौट कर नहीं आया। इन बेसहारा बच्चों को हरिद्वार प्रशासन एवं महिला बाल विकास विभाग ने अपने संरक्षण में लेकर उनके घर के बारे में पता लगाया। उन्हें जानकारी होने के बाद अनूपपुर लाया गया और यहां के बाल आश्रय गृह में रखा गया। इन सभी बच्चों को माल्टा की दंपती ने दत्तक पुत्र के रूप में अपनाया है।

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